लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने पशुपालन विभाग में धोखाधड़ी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए मंत्री के प्रधान निजी सचिव समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
एसटीएफ के प्रवक्ता ने रविवार शाम बताया कि पशुपालन विभाग में इंदौर के एक व्यापारी से फर्जी टेंडर के नाम नौ करोड़ 72 लाख रूपए वसूले गए थे। इस फर्जीबाड़े में पशुधन राज्य मंत्री के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी और मंत्री का निजी सचिव धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव और खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल है जबकि बाद में रूपक राय, उमा शंकर तिवारी और अनिल राय को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में हजरतगंज थाने में जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज बनाने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट लिखी गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2018 से शुरू हुए इस खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब मामले की शिकायत इन्दौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने लखनऊ पुलिस से की थी।
पीड़ित व्यापारी का आराेप है कि अप्रैल 2018 को उन्हे पशुधन विभाग से 214 करोड़ रूपए का टेंडर देने के एवज में तीन फीसदी कमीशन का प्रस्ताव मिला था जिसके लिए उन्होने एक फीसदी कमीशन के तौर पर दो करोड़ रूपए का भुगतान तुरंत कर दिया। 31 अगस्त को आरोपितों ने दोबारा व्यापारी को बुलाया।
पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय मेें आशीष ने खुद को एसके मित्तल बताकर व्यापारी से भेंट की और पीडि़त को फर्जी वर्क ऑर्डर की कॉपी दे दी। इसके बाद गिरोह ने कई बार में व्यापारी से करोड़ों रुपये वसूले।
एसटीएफ की पूछताछ मेंं आशीष राय ने बताया कि पशुपालन विभाग विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, उमेश मिश्र सहायक समीक्षा अधिकारी, धीरज कुमार देव (निजी सचिव) संविदाकर्मी और होमगार्ड रघुबीर यादव, सरकारी चालक विजय कुमार व अन्य के सहयोग से वह सचिवालय स्थित एक कमरे को एसके मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग की तख्ती लगाकर उपयोग करता था। इस दौरान वह खुद को एसके मित्तल बताता था।
राय ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में मोन्टी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, कथित पत्रकार एके राजीव, अमित मिश्र, उमाशंकर तिवारी, डीबी सिंह उर्फ दिल बहार सिंह यादव, अरूण राय एवं निजी चैनल के पत्रकार अनिल राय भी शामिल थे। टेंडर के एवज में मिलने वाली धनराशि को आरोपित आपस में बांट लेते थे। उधर, आरोपित रजनीश दीक्षित ने पूछताछ में बताया कि मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव के माध्यम से उसकी मुलाकात आशीष राय से हुई थी।