सबगुरु न्यूज-सिरोही। फरवरी 2015, लोकसभा का बजट सत्र। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस मनरेगा योजना को यूपीए की विफलता का जीवित स्मारक बताया था वही योजना इस कोरोना महामारी के काल में ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाकर भूखो मरने से बचाने का वरदान बन गई।
पिछले पांच सालों में केन्द्र मनरेगा के विकल्प के रूप में कोई ग्रामीण रोजगार योजना नहीं ला पाई और इस कोरोना महामारी के काल में रोजगार के अधिकांश माध्यमों के बंद होने पर यही योजना ग्रामीणों को योजना लोगों को गांवों में रोजगार मुहैया करवा रही है। 20 अप्रेल को केन्द्र सरकार द्वारा जिन कामों को छूट दी जानी थी उनमें सबसे पहले मनरेगा भी शामिल की गई। ये बात दीगर है कि वर्तमान एनडीए सरकार ने भी इस योजना पर पैसा खर्च करके ग्रामीण रोजगार मुहैया करवाने को ही विकल्प माना।
सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने प्रशासन के सहयोग से सिरोही और शिवगंज तहसील में 15 अप्रेल के बाद सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करवाते हुए मनरेगा कामों की शुरूआत करवा दिया था। बाद में रेवदर विधायक जगसीराम कोली और पिण्डवाड़ा-आबू विधायक समाराम गरासिया ने भी जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर उनकी विधानसभाओं में भी मनरेगा कार्य शुरू करवाने का अनुरोध किया था। इसका परिणाम यह हुआ कि दो मई को पिछले दस सालों में एक दिन में सबसे ज्यादा श्रमिकों को मनरेगा में नियोजन का रिकॉर्ड सिरोही ने बंधवाया।
सिरोही देश और राजस्थान के उन चुने हुए जिलों में है जहां राज्य के अन्य जिलों से पहले मनरेगा योजना शुरू हुई थी। जिले के वर्तमान प्रभारी सचिव सिद्धार्थ महाजन जब जिला कलक्टर थे उस दौरान भी मनरेगा में जिले को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर काम के लिए सम्मानित किया गया था।
-यह है स्थिति
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद ने बताया कि कोरोना महामारी के दूसरे मोर्चे पर समान रूप से जूझते हुए जिले को ग्रीन जोन में शामिल रखा। इन चुनौतियों के बीच मनरेगा को शुरू करके हमने प्रदेश में जो श्रमिक नियोजन हुआ है उसमें प्रदेश में सिरोही सबसे अव्वल रहा है। यह संख्या 2 मई को 53 हजार 212 थी। आबूरोड में दो मई को नियोजित श्रमिकों की संख्या 8990, पिण्डवाड़ा में 12 हजार 280, रेवदर में 11 हजार 651, शिवगंज में 9 हजार 738 तथा सिरोही पंचायत समिति में 10 हजार 553 थी। इनका भुगतान सिरोही जिले में 23 अपे्रल 2020 तक श्रमिकों के बैंक खातो में जमा हो चुका हैं।
-यह है पिछले दस सालों की स्थिति
जिले में पिछले 10 वर्षो में एक दिन में नियोजित सर्वाधिक श्रमिकों की संख्या वर्ष 2011-12 मे 24 हजार 797, 2012-13 में 37 हजार 693, 2013-14 में 31 हजार 399, 2014-15 में 32 हजार134, 2015-16 में 33 हजार 815, 2016-17 में 35 हजार 723, 2017-18 में 35 हजार 564, 2018-19 में 45 हजार 340, 2019-20 में 52 हजार 597 एवं चालू वित्तीय वर्ष में यानि 2020-21 में 53 हजार 212 रहा है।
-चल रहे हैं इतने काम
जिले में सामाजिक दूरी सोशल डिस्टेसिंग की पालन करते हुये कुल नियोजित श्रमिक 53212 द्वारा 5239 कार्य यथा सामूदायिक कार्य 637 (जल संरक्षण यथा तालाब खुदाई, चारागाह विकास), प्रधानमंत्री आवास योजना 4283 एवं व्यक्तिगत लाभार्थी 319 (समतलीकरण, मेडबन्दी, बागवानी कार्य ) कार्यो पर नियोजित है।
-इन कामों में कर सकते हैं आवेदन
समस्त ग्रामों के जॉबकार्डधारी रोजगार केइच्छुक परिवार सम्बन्धित ग्राम पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक/ग्राम विकास अधिकारी को अपना डिमान्ड फॉर्म देकर महात्मा गांधी नरेगा कार्यो पर नियोजित हो सकते हैं। व्यक्तिगत लाभ के कार्य यथा बागवानी (फलदार पौध,सब्जी, वक्षृरोपण), समतलीकरण एवं मेडबन्दी कार्य के इच्छुक परिवार (अनुसूचित जाति, अनूसुचित जन जाति एव ंबी.पी.एल परिवार जिसके पास अपनी निजी कृषि भूमि है) भी संबंधित ग्राम पंचायत में अपना आवेदन देकर कार्य स्वीकृत करवाकर रोजगार प्राप्त कर सकते है।