नई दिल्ली। दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने में दोषी करार दिए गए सुशील अंसल और गोपाल अंसल समेत पांच लोगों को सोमवार को सात-सात साल कैद की सजा सुनाई और 2.25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
चीफ मेट्रो पॉलिटेन मैजिस्ट्रेट डॉ. पंकज शर्मा की अदालत ने अंसल बधुओं को सात-सात जेल की कैद के अलावा प्रत्येक पर 2.25-2.25 करोड़ रुपए भुगतान करने का आदेश दिया।
पटियाला हाउस अदालत ने अंसल बंधुओं के कर्मचारी रहे पीपी बत्रा एवं अनूप सिंह करायत के अलावा तत्कालीन अदालतकर्मी दिनेश चंद्र शर्मा को सात-सात साल की कैद और तीन-तीन लाख रुपए जुर्माने देने का आदेश दिया। जुर्माने की रकम अदा नहीं करने वाले दोषियों को अतिरिक्त छह माह कैद की सजा भुगतने का आदेश अदालत ने दिया है।
सबूतों से छेड़छाड़ और उसे मिटाने के मामले में 2006 में सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें से हरस्वरूप पवार और धर्मवीर मल्होत्रा की मृत्यु हो चुकी है।
पटियाला हाउस की इस अदालत ने आठ अक्टूबर को पांचों को दोषी करार दिया। उन्हें भारतीय दंड संहिता की 201, 409 और 120-बी धाराओं के तहत दोषी करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में उपहार सिनेमा हॉल में ‘बॉर्डर’ फिल्म दिखाई जा रही थी, इसी दौरान आग लग गई थी। 13 जून 1997 को हुए इस हादसे में 59 लोग मारे गए थे, जबकि करीब 100 घायल हुए थे।
अग्निकांड में लोगों के मारे जाने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अंसल बंधुओं को दो वर्ष की सजा दी थी। उनके इतने ही समय जेल रहने के आधार पर हालांकि उन्हें 30-30 करोड़ रुपए अदा करने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया था।