लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल सत्र के दौरान सोमवार को समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने विधानसभा और विधान परिषद में जमकर हंगामा किया। दोनों सदन हंगामे की भेंट चढ़ गए और कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मुख्यमंत्री का वह बयान हंगामे का कारण बना, जिसमें योगी आदित्यनाथ ने समाजवादियों की तुलना आतंकवादियों से की थी। सपा के सदस्य उनसे माफी मांगने की मांग करते रहे। विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल खत्म होते ही सपा सदस्य वेल में आ गए और जोरदार नारेबाजी कर मुख्यमंत्री के बयान पर चर्चा की मांग की।
हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद सपा सदस्यों ने वेल में धरना दे दिया। लगातार हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने मुख्यमंत्री द्वारा समाजवाद पर आपत्तिजनक टिप्पणी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सदन में आए सभी सदस्य किसी न किसी विचारधारा से प्रेरित होते हैं। समाज में सभी विचारधाराओं पूंजीवाद, एकात्मवाद, समाजवाद को स्थान दिया गया है।
उन्होंने संत मुख्यमंत्री के बयान की निंदा करते हुए कहा कि आजादी के आंदोलन में समाजवादियों ने बराबर का हिस्सा लिया। चाहे जयप्रकाश नारायण हों, राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर और जनेश्वर मिश्र जैसे नेताओं ने देश के लिए क्या नहीं किया। सन् 1942 में समाजवादियों ने अंग्रेजी शासन को तार-तार करने के लिए सब कुछ किया।
चौधरी ने कहा कि नेता सदन मुख्यमंत्री ने जो भाषण दिया, उसकी निंदा करता हूं। उन्हें प्रदेश ही नहीं, समूचे देश से माफी मांगनी चाहिए।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष से बात हो गई थी कि मुख्यमंत्री के बयान पर चर्चा के लिए कोई दिन तय कर लेंगे और उस दिन नेता सदन भी मौजूद रहेंगे। इसके बावजूद यह मुद्दा उठाना उचित नहीं है। तय हुआ था कि मुख्यमंत्री 15 फरवरी को बोलेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद नेता प्रतिपक्ष न जाने कहां से गलत बातों का जखीरा लाए हैं। जब तक सत्तापक्ष में रहे, तो नियमावली आदि की किताबों को उन्होंने ताले में बंद कर दिया था और जब चाभी आई और ताला खोलने की नौबत आई, तब तक इनकी सरकार चली गई।
सुरेश खन्ना की इस टिप्पणी के बाद सपा से सभी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में उतर आए। उन्होंने खन्ना की टिप्पणी की निंदा की।
हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि मुख्यमंत्री ने तो डॉ. राम मनोहर लोहिया की तारीफ की है। वैसे भी सदन के बाहर कही बातों का संज्ञान नहीं लिया जाता। ऐसी परंपरा नहीं है।
उधर, विधान परिषद में भी विपक्षी दलों ने प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था का मामला उठाकर हंगामा शुरू कर दिया। विधान परिषद में 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा सदस्यों ने वेल में आकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी।
सपा के सदस्यों ने आपत्तिजनक बयान के लिए मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग करते हुए सभापति पर कागज के गोले भी फेंके। हंगामे को देखते हुए सभापति ने विधान परिषद की कार्यवाही मंगलवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, विधान परिषद में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने इलाहाबाद में दो दिन पहले दलित छात्र की हत्या का मामला उठाया। इनके साथ ही कांग्रेस ने प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था के लिए सरकार को घेरने का प्रयास किया।
विधान परिषद में सपा के नेता अहमद हसन ने पत्रकारों से कहा कि समाजवादियों को आतंकवादी कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके लिए मुख्यमंत्री को सदन में आकर मांफी मांगना चाहिए। जब तक योगी माफी नहीं मांगेंगे तब तक विपक्ष चुप नहीं बैठेगा।
गौरतलब है कि इलाहाबाद में दो दिन पहले एलएलबी कर रहे एक दलित छात्र की हत्या कर दी गई थी। बसपा नेता इस पर चर्चा करने की मांग कर रहे थे। इसके बाद सपा नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी द्वारा समाजवादियों को आतंकी कहे जाने पर हंगामा किया और योगी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।