अजमेर। राजस्थान में अजमेर नगर निगम की सोमवार को साधारण सभा में पार्षदों ने जोरदार हंगामा किया साथ ही महापौर ने सत्ता पक्ष के एक पार्षद को निष्कासित कर दिया।
बैठक में पार्षद चंद्रेश सांखला ने महापौर धर्मेंद्र गहलोत पर बेशकीमती जमीन को काफी कम कीमत पर दिए जाने में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने के बाद हंगामा हो गया। सभा में गहलोत द्वारा विवादास्पद टिप्पणी किए जाने पर सदन में हंगामा हो गया। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के पार्षद लामबंद हो गए। बाद में सदन की मांग पर गहलोत ने पार्षद चंद्रेश सांखला को सदन से निलंबित कर दिया।
सदन में सभी पार्षदों के बीच तकरार की स्थिति रही। पार्षद सांखला ने गहलोत पर पुरानी मंडी में जमीन आवंटन समेत अन्य मामलों में भी गंभीर आरोप लगाए। हंगामे का एक कारण यह भी रहा कि स्मार्ट सिटी के तहत जो कार्य शहर में किए जा रहे हैं उनमें केवल अजमेर उत्तर क्षेत्र के तेरह वार्ड ही समाहित हो रहे हैं।
जबकि शहर में कुल साठ वार्ड हैं जिनमें दक्षिण विधानसभा क्षेत्र भी आता है, लेकिन दक्षिण क्षेत्र में स्मार्ट सिटी योजना के तहत एक भी विकास कार्य नहीं कराया जाएगा। निगम की बैठक मंगलवार को भी चलेगी जिनमें अन्य प्रस्तावों को पारित किए जाने की संभावनाएं हैं। निगम के लिए वर्ष 2020-21 के लिए तीन अरब 65 करोड़ 33 लाख के बजट पर भी मुहर लगेगी।
कांग्रेस पार्षदों की चुप्पी का राज क्या?
पार्षद नीरज जैन और महेन्द्र जादम ने अपने ही बोर्ड को कठघरे में खडा किया। रमेश सोनी ने कहा कि बीते एक साल से अधिकारियों का रवेया जनप्रतिनिधियों के साथ बदल गया है। साधारण सभा में पहले शहर कांग्रेस संगठन ने अपने पार्षदों को बीजेपी बोर्ड में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के निर्देश दिए थे लेकिन साधारण सभा में माहौल उलटा नजर आया। जब महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, पार्षद वीरेन्द्र वालिया तथा बीजेपी के ही पार्षद चंद्रेश सांखला ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए। इस कहासुनी के दौरान कांग्रेसी चुप्पी साधे रहे। कुछ कांग्रेसी पार्षदों ने भी बोलने की कोशिश की तो उन्हें उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुप करा दिया।