नई दिल्ली। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को संसद में कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण के प्रति समर्पित है और उत्तराखंड में आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय में जो निर्णय आया है उस पर उच्च स्तर पर विचार विमर्श कर उचित फैसला किया जाएगा।
गहलोत के इस बयान को विपक्ष ने अस्पष्ट बताते हुए कड़ा विरोध किया और लोकसभा तथा राज्यसभा से वाकआउट किया। गहलोत ने कहा कि उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने सात फरवरी को फैसला दिया है। उत्तराखंड सरकार ने यह मामला दायर किया था जिसमें केन्द्र सरकार पक्षकार नहीं थी। उस समय उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। केन्द्र सरकार इस मामले में समुचित कदम उठाएगी।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरु, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर और कुछ अन्य नेताओं के प्रयास से गरीबों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था का प्राचधान कराया था।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सरकारी वकील ने उच्चतम न्यायालय में नौकरियों और पदोन्नति में आरक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि यह देश की एक चौथाई आबादी का सवाल है। उन्होंने सरकार से इस मामले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने या विधेयक लाने की मांग की।
समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से उच्चतम न्यायालय जाने या अध्यादेश लाने की मांग की। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गो और ऊंची जाति के गरीब लोगों को नौकरियों में आरक्षण दिया जा रही है। उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोई सरकार आरक्षण को समाप्त नहीं कर सकती है।
भारतीय जनता पार्टी के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि दो मंत्रियों ने सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। यादव ने बाद में विपक्ष के वाकआउट की निन्दा की।