नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा कराये जाने काे लेकर विपक्षी दल के सदस्यों ने भारी शोरगुल और हंगामा किया और विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।
अपराह्न बाद विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो सदन में हंगामा होने लगा। इसके जारी रहने पर उपसभापति हरिवंश ने छह बजकर चार मिनट पर सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद दो बार और दस दस मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की गयी।
सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक को जांच के लिए प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि यह निर्वाचित सरकार के अधिकार को छीनकर उप राज्यपाल को देने वाला विधेयक है। उन्होंने कहा कि विधेयक में उप राज्यपाल को सरकार का प्रमुख बनाने का प्रावधान है तो फिर विधान सभा का चुनाव कराने की क्या जरुरत है। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर केन्द्र सरकार को अधिकार प्राप्त करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि सत्ता चलाने के लिए उप राज्यपाल को कार्यकारी शक्तियां दी जा रही है। सरकार को संविधान की जिम्मेदारी निभानी चाहिये। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सरकारें बनेगी, बिगड़ेगीं देश रहना चाहिये। सरकार के अधिकार समाप्त कर लोकतंत्र समाप्त किया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि वह सदन में दिल्ली के दो करोड़ लोगों के लिए न्याय और संविधान बचाने आये हैं। दिल्ली का मंत्रिमंडल विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। विधेयक में सामान्य संशोधन से उप राज्यपाल को अधिकार दिया जा रहा है। उन्होंने विधेयक को गैर संवैधानिक बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी दो बार यहां हारी है इसलिए विधेयक लाया गया है। इसके बाद विपक्षी दल के सदस्य सदन के बीच में आकर हंगामा करने लगे।
हंगामें के दौरान ही जी किशन रेड्डी ने कहा कि दिल्ली पूर्ण रज्य नहीं है। कांग्रेस की सरकार ने जो संशोधन किया था उसी के अधीन इस बार संशोधन किया गया है। दिल्ली सरकार ठीक से चले इसीलिए यह विधेयक लाया गया है। शोरगुल के दौरान ही भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने भी कुछ कहा जिसे साफ साफ नहीं सुना गया। हालांकि छह बजकर 25 मिनट पर सदन की कार्यवाही फिर सुचारु रुप से शुरू हो गयी।