जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी ने सदन की गरिमा बनाए रखने की जरुरत बताते हुए आज कहा कि वह जब तक अध्यक्ष हैं तब तक नियम एवं निष्पक्ष रुप से काम करेंगे, उन पर विश्वास नहीं हैं तो नया अध्यक्ष चुन लिया जाए, उन्हें खुशी होगी।
डा जोशी ने आज प्रश्नकाल में विधायक रमेश चन्द्र मीणा के प्रश्न उठाने के लिए माइक नहीं होने की बात कहने पर उनके साथ हुई हल्की नोकझोंक के दौरान एवं उसके बाद शून्यकाल में यह बात कही। प्रश्नकाल में जोशी ने सवाल उठाने के लिए मीणा का नाम पुकारने पर उन्होंने माइक नहीं होने की बात कही। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि दूसरी सीट पर जाकर सवाल पूछे। इस पर मीणा ने कहा कि वह दूसरी सीट पर नहीं जाएंगे, यही से प्रश्न पूछ लेंगे और वह अपनी जगह पर खड़े रहे।
इस पर डा जोशी ने कहा कि आसन पैरों पर हैं, आप बैठे। आप मंत्री रहे हुए हैं, इस तरह आचरण करेंगे, ठीक नहीं हैं। आप अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते। अध्यक्ष की गरिमा नहीं रखी जा रही हैं। सदन आपकी मर्जी से नहीं चलेगा। अध्यक्ष की मर्जी से चलेगा। उन्होंने कहा कि अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो नया अध्यक्ष चुन लीजिए, मुझे खुशी होगी। बाद में उन्होंने मीणा को प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं दी।
इसके बाद शून्यकाल में डा जोशी ने इस मुद्दे पर कहा कि रमेश मीणा तीसरी बार विधानसभा का सदस्य बने हैं, उन्हें मालूम है कि बैठने की व्यवस्था अध्यक्ष नहीं करते, फिर भी बैठने की व्यवस्था को लेकर अध्यक्ष की तरफ इंगित करें तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री एवं पार्टी के मुख्य सचेतक अपने स्तर पर फैसले नहीं लेते, जिसकी वजह से मुझे कठोर फैसले करने पड़ते हैं। हम विधानसभा की कमेटी की बैठकों के प्रति गंभीर नहीं रहते।
जनता के पैसे का सदुपयोग नहीं हो रहा हैं। मैं प्रश्न पूछता हूं तो मंत्री नाराज होते हैं। उन्होंने कहा मैं साइलेंट स्पीकर की भूमिका में विश्वास नहीं करता। उन्होंने कहा कि आशा है कि सदन की गरिमा को बनाए रखेंगे और सब मिलकर नियम एवं कानून के साथ सदन को चलाएंगे।
उन्होंने कहा मुझे खेद है कि विधायक नियमों का पालन नहीं करते। सदन में बैठने की व्यवस्था अध्यक्ष नहीं करते, पार्टी के मुख्य सचेतक करते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बैठने की व्यवस्था इस तरह की गई है जिससे कई सीटों पर माइक नहीं हैं। जिन सीटों पर माइक नहीं हैं वे पीछे जाकर बोल सकते हैं। मुख्य सचेतक ने अपने विधायकों को इस व्यवस्था के बारे में बता दिया होगा।
डा जोशी ने कहा कि वह अपेक्षा करते है कि सरकारी पक्ष भी अध्यक्ष की व्यवस्था और नियमों का पालन करें। यह खेद का विषय है कि मंत्रियों को शून्यकाल में सदन में रहने की व्यवस्था दी गई थी, इसके बावजूद मंत्री सदन में नहीं रहते। आप सदन की गरिमा नहीं रखना चाहते। जब तक मैं अध्यक्ष हूं निष्पक्ष रुप से काम करुंगा और कठिन निर्णय लेने की जरुरत पड़ने पर वह कठिन निर्णय भी लेंगे भले ही मुझे अध्यक्ष पद से हटा दे। उन्होंने कहा कि आपने मुझे चुना है, आप चाहें तो मुझे हटा दें, मुझे खुशी होगी।
उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री से अपेक्षा करता हूं कि सदन में बैठने की व्यवस्था आपने की हैं, कोई विधायक अध्यक्ष को यह डिक्टेट करे कि मैं तो यहीं से प्रश्न पूछूंगा तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। सदन की गरिमा गिरती है तो जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज यह दुर्भाग्यपूर्ण सीन हुआ हैं, भविष्य में ऐसा नहीं हो। उन्होंने कहा कि वह लिबरल हैं।
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि विधानसभा अब शिकायत निवारण केंद्र बनता जा रहा है, यहां कानूनों पर चर्चा एवं कानून बनाने पर चर्चा कम होती जा रही है। जनता की समस्याओं का निराकरण के प्रयास होने चाहिए। उन्होने कहा कि नए सिरे से सब सदस्य मिलकर राजस्थान को आगे बढ़ाने का काम करना है, कठिन निर्णय लेने पड़े तो, लेंगे।