नई दिल्ली। उर्दू परिषद ने तब्लीग़ी मर्कज़ बस्ती हज़रत निज़ामुद्दीन में हज़ारों व्यक्तियों की भीड़ होने तथा इनमें से कई लोगों में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण की पॉज़िटिव रिपोर्ट पाए जाने पर अफ़सोस जताया है और कहा है कि इस तरह लोगों का इकट्ठा होना निंदनीय है।
परिषद के निदेशक डाॅ. शेख़ अक़ील अहमद ने कहा है कि मौजूदा विषम परिस्थिति में किसी भी तरह की लापरवाही से बचना चाहिए और भीड़ से सख़्ती से परहेज़ करना चाहिए। उन्होंने तब्लीग़ी जमात के ज़िम्मेदारों की निंदा करते हुए कहा कि जब दिसंबर के महीने से ही कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की ख़बरें चल रही हैं और दुनिया भर के देशों में एहतियाती क़दम उठाए जा रहे हैं तो ऐसे में जमात के ज़िम्मेदारों को इजतिमा करने और दुनिया के विभिन्न देशों से लोगों को यहां बुलाए जाने की क्या मजबूरी की थी? उनकी वजह से अब हज़ारों लोगों की जान ख़तरे में पड़ गई है।
डाॅ. अक़ील ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार के मद्देनजर सऊदी अरब, क़तर, उम्मान, मिस्र तथा अन्य मुस्लिम देशों में मस्जिदें बंद कर दी गई है और धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगाने के साथ ही लोगों को घरों में नमाज़ अदा करने के लिए कहा गया है। दूसरी तरफ हमारे मुल्क में मज़हबी शख़्सियात और उलमा ने इस सिलसिले में लापरवाही बरती, जिसकी वजह से लोगों की जाने ख़तरे में पड़ सकती है।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के ख़तरों से जूझ रही है। लाखों लोग इससे पीड़ित हुए हैं और हज़ारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। ऐसे में विशेष तौर पर मज़हबी इदारों और मज़हबी शख़्सियत की ज़्यादा ज़िम्मेदारी बनती है कि वो लोगों में जागरुकता पैदा करें और जब तक कि हालात क़ाबू में नहीं आजाते किसी भी किस्म के इजतिमा से गुरेज़ करें।
उन्होंने कहा है कि सरकार इस वायरस से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे में हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि इसमें सरकार का सहयोग करें और कोई ऐसा कदम न उठाएं,जो इन्सान और देश को नुकसान पहुंचाने का कारण बने।
उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों और देश की सुरक्षा के लिए 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है और हम सभी नागरिकों की ज़िम्मेदारी है कि इस लॉकडाउन पर अमल करते हुए अपने घरों में रहें और साफ-सफाई विशेष ध्यान रखें। उन्होंने लॉकडाउन पर अमल करने में लापरवाही बरतने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए।