अजमेर। राजस्थान के अजमेर में अगले वर्ष फरवरी में भरने वाले सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 809वें सालाना उर्स की कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ साझा बैठक में हिदायत दी कि कोरोना के चलते उर्स मेला पहले की तरह आयोजित नहीं हो पाएगा।
जिलाधीशालय में आयोजित बैठक में राजपुरोहित ने कहा कि इसलिए उर्स में शिरकत करने वाले जायरीन अधिक संख्या में अजमेर न आए जब तक सरकार की नई गाइडलाइन नहीं आ जाती तब तक सभी को पुरानी गाइडलाइन नियमों की पालना करनी होगी।
अजमेर जिला प्रशासन कोरोना एवं उसके नये रुप को लेकर चैकन्ना और सतर्क है लिहाजा प्रशासन की ओर से दरगाह कमेटी सहित खादिमों की संस्थाओं को आगह किया गया है कि वे अभी से मुनादी शुरू करा दे ताकि अजमेर में दौराने उर्स ज्यादा भीड़ इकट्ठी न हो और संक्रमण से बचा जा सके।
बैठक में मौजूद दरगाह दीवान के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन ने भी कोरोना को देखते हुए उर्स में भीड़ की पाबंदी पर सहमति जताते हुए कहा कि अकीदतमंद एक दिन की जियारत करके ही अजमेर शरीफ से लौट जाए। प्रशासन के साथ इस बात पर भी सहमति बनी कि उर्स की तमाम रस्में खादिमों द्वारा परंपरागत तरीके से कोरोना गाइडलाइन के तहत अंजाम दी जाएगी।
बैठक में खादिमों की ओर से इस बात के लिए भी आवाज उठाई गई कि मार्च 2020 से दरगाह बाजार व दरगाह परिसर में बंद फूल व चादरों की दुकानें खोलने के साथ साथ गरीब नवाज की बारगाह में चादर पेश करने की अनुमति दी जाए। इस पर राजपुरोहित ने खादिमों को आश्वस्त किया कि वे उनकी बात सरकार तक पहुंचा देंगे।
उल्लेखनीय है कि गरीब नवाज का सालाना उर्स फरवरी माह में शुरू होगा जिसमें हर साल लाखों जायरीन अजमेर शरीफ पहुंचते हैं। कोरोना के बाद कोरोना के नए रूप की दस्तक के बाद अब सभी को सरकार की नई गाइडलाइनों का इंतजार रहेगा।