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सीरिया पर अमरीकी नेतृत्व में हवाई हमले : रूस, चीन ने की कड़ी आलोचना
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सीरिया पर अमरीकी नेतृत्व में हवाई हमले : रूस, चीन ने की कड़ी आलोचना

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सीरिया पर अमरीकी नेतृत्व में हवाई हमले : रूस, चीन ने की कड़ी आलोचना

वाशिंगटन। अमरीकी नेतृत्व में ब्रिटेन और फ्रांसीसी सेनाओं ने सीरिया सरकार पर अपने नागरिकाें पर कथित रासायनिक हमले किए जाने का अारोप लगाते हुए शनिवार तड़के कई हवाई हमले किये। रूस ,चीन समेत कई देशों ने पश्चिमी देशों के इस कदम की कड़ी आलोचना की है।

रूस ने हवाई हमले की कड़ी आलोचना की है और पश्चिमी देशों के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिये जाने के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। रूस ने यह भी कहा है कि अमरीकी नीत पश्चिमी सेनाओं के हमले से सीरिया में आम लोगों की त्रासदी और बढ़ेगी और यह मानवता के खिलाफ कदम है। चीन ने हमलों की घोर निंदा करते हुए कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है।

इस बीच सीरियाई सेना ने कहा है कि उसने हमलों का माकूल जबाव दिया है और इस तरह के हमले से सीरियाई नागरिकों के हौसले पस्त नहीं हो सकते। सीरिया में लोगों ने हवाई हमलों के खिलाफ देश और रूस के झंड़े लेकर चौराहों पर प्रदर्शन किए और हमलावार देशों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

अमरीका और उसके सहयोगी देशों का दावा है कि सीरिया की तानाशाह सरकार अपने नागरिकों पर रासायनिक हमले कर रही है और इसे राेकने और राष्ट्रपति बशर अल-असर को सबक सिखाने के उद्देश्य से ये हमले किये गये। पश्चिमी सेनाओं ने चेतावनी दी है कि अगर सीरियाई सरकार ने रासायनिक हमले नहीं रोके तो उस पर दाेबारा हमले किये जा सकते हैं।

सीरिया में अमरीका की अगुवाई में किए गए हवाई हमलों का जाेरदार विरोध करते हुए चीन ने कहा कि राजनीतिक समाधान ही सीरियाई विवाद के हल का एकमात्र विकल्प है और वहां सरकार की ओर से किए गए रासायनिक हमलों की पूरी, निष्पक्ष तथा उद्देश्यपरक जांच कराई जानी चाहिए।

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ छुनाइंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन ने शुरू से ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किसी तरह के बल प्रयोग का विरोध किया है आैर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दरकिनार कर जिस तरह से ये हवाई हमले किए गए, वह अंतरराष्ट्रीय कानून अौर आधारभूत मानकों का भी उल्लंघन है।

ईरान ने कहा है कि एक संप्रभु राष्ट्र के ख़िलाफ़ अमरीका और उसके सहयोगियों के हमलों के कारण विश्व में शांति और सुरक्षा की नींव कमज़ोर होगी और क्षेत्र मैं अतिवाद और आतंकवाद अपनी जड़ों को ऐसे अतिक्रमणकारी देशों की सहायता से और मज़बूत करेंगे।

यूरोपीय संघ, जर्मनी, इजरायल और दूसरे सहयोगी देशों ने सीरिया पर हमले का समर्थन किया है। ब्रिटेन ने कहा है कि सीरियाई सरकार ने डूमा में रासायनिक हथियार पहुंचाने के लिए बैरल बम का इस्तेमाल किया इसका संकेत रिपोर्टों से मिलता है। इस मामले में ‘ताकत’ का इस्तेमाल उचित और वैध है।

अमरीकी अधिकारियों ने कहा है कि इन हमलों का मकसद पिछले हफ्ते सीरिया में नागरिकों पर रासायनिक हमलों के बाद असद को सबक सिखाना और उन्हें फिर ऐसी हरकत करने से रोकना है। अमरीकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि अगर असद रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल बंद नहीं करते हैं तो फिर हमले किए जाएंगे।

अमरीका की तरफ से ये हमले भूमध्यसागर में तैनात युद्धपोतों से मिसाइलों और लड़ाकू विमानों से किए गए। सीरिया में स्थानीय समयानुसार सुबह चार बजे धमाके हुए। मिसाइलों से पहले दमिश्क के पूर्वी उपनगरों को निशाना बनाया गया और दूर दूर तक जमीन दहल गई।

सीरियाई सेना ने कहा है कि कुल 110 मिसाइलें अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस की तरफ से दागी गईं जिनमें ज्यादातर या तो गिरा दी गईं या फिर उन्हें भटका दिया गया। रूस की सेना का कहना है कि सीरियाई वायु रक्षा तंत्र ने अमरीकी और उसके सहयोगियों की तरफ से दागी गईं 103 क्रूज मिसाइलों में से 71 को गिरा दिया।

रूस राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने हमलों की कड़ी निंदा करते हुए चेतावनी दी कि ‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों के पूरे तंत्र पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। अमरीकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन हमलों का निशाना असद के रासायनिक हथियारों के अड्डे हैं जहां रासायनिक हथियारों को विकसित करने और बनाने के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सीरियाई टेलीविजन का कहना है कि देश के सुदृढ़ वायु रक्षा तंत्र ने हमलों का जवाब दिया।

अमरीका दावा है कि सात अप्रैल को डूमा में कम से कम एक रसायन का इस्तेमाल जरूर किया गया जो क्लोरीन है। उसने कहा कि हमले के लिए अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस के अधिकारियों ने ऐसे लक्ष्यों का चुनाव किया था जिनमें कम से कम नागरिकों को नुकसान पहुंचे।

सीरियाई सरकार लगातार इस बात से इनकार करती रही है कि उसने किसी प्रतिबंधित रसायन का इस्तेमाल किया है। इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके औचित्य को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है। पश्चिमी देशों की तरफ से सीरिया में यह पहली संयुक्त कार्रवाई है।