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इटावा जेल से दो कैदी फरार, एक हादसे में मरा, 4 जेलकर्मी सस्पेंड - Sabguru News
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इटावा जेल से दो कैदी फरार, एक हादसे में मरा, 4 जेलकर्मी सस्पेंड

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इटावा जेल से दो कैदी फरार, एक हादसे में मरा, 4 जेलकर्मी सस्पेंड

इटावा। उत्तर प्रदेश की इटावा जिला जेल से उम्र कैद की सजा पाये दो कैदी फरार हो गये जिसमें एक की ट्रेन से कट कर मृत्यु हो गई। इस सिलसिले में चार जेलकर्मियों को निलंबित किया गया है।

पुलिस उप महानिरीक्षक जेल वीपी पाठक ने बताया कि हत्या के आरोप में बैरक-5 में उम्रकैद की सजा काट रहे दोनों कैदियों ने भागने से पहले सीसीटीवी कैमरे विफल कर दिए थे ताकि उनकी किसी भी गतिविधि को देखा नहीं जा सके। जांच के बाद प्रथम दृष्टया तीन वार्डन और एक हेड वार्डन को कार्य मेें लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि दोनों कैदी जेल की दीवार को कूदकर फरार हुए हैं। दीवार फांदने के लिए कैदियों ने पेड़ की टहनियों और चादर का इस्तेमाल किया था। जेल से भागने के बाद दोनों इटावा रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां वे रफ्तार पकड़ चुकी संगम एक्सप्रेस में चढे कि इस बीच पैर फिसलने से उनके से एक की ट्रेन से कट कर मौत हो गई।

इटावा के जेल अधीक्षक राजकिशोर सिंह ने बताया कि हादसे का शिकार हुआ रामानंद (45) दशहरा थाना फंफूद जिला औरैया का मूल निवासी था जबकि दूसरा चंद्रप्रकाश उर्फ चंदुआ (49) महानेपुर इकदिल इटावा का रहने वाला है।

डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद जब राउंड पर आए थे, तब इस घटना का पता चला। कैदियों की तलाश के लिए पुलिस रेलवे स्टेशन पर गई तो वहां पता चला कि एक व्यक्ति की ट्रेन से कट कर मृत्यु हुई है जिसकी पहचान रामानंद के तौर पर की गई।

उन्हाेंने बताया कि मृतक कैदी रामानंद को साल 2008 मे अमीनाबाद में दलित परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के आरोप मे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पुलिस दूसरे कैदी की सरगर्मी से तलाश कर रही है।

गौरतलब है कि इससे पहले इटावा जिला जेल में 22 अगस्त 2014 को इटावा जेल से तीन कैदियों के फरार होने के बाद तत्कालिक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी ने इटावा जेल के सभी अफसरों और जेलकर्मियों को निलंबित कर दिया था। जेल की मोटी दीवार पर पाइप और गर्म साल के जरिये बनाई गई रस्सी के जरिये राकेश तंदूरी उर्फ विक्रम, शकिर अली और संजू कोरी फरार हो हुए थे।

2012 साल दिसंबर माह मे भी इस जेल से दो कैदी जयवीर सिंह और संजू जाटव फरार हो गए थे। दोनों के खिलाफ इटावा के कई थानों में कई अपराधिक मामले दर्ज रहे। बडी मुश्किल से करीब दो माह बाद दोनों को जेल अफसरों ने गिरफ्तार कर लिया।

वर्ष साल 2008 मे भी इटावा जेल से दो कुख्यात कुख्यात दस्यु सरगना नादिया गिरोह का सक्रिय सदस्य सोनवीर जाटव उर्फ लोखरिया और कैदी रामानंद जाटव पश्चिमी बाउंड्री बॉल पर तकरीबन एक 25 फुट लंबे बांसों से कलाबाजी खाते हुए जेल की भीतरी व बाहरी चाहरदीवारी को लांघ कर भाग गए। इस फरारी के बाद जेल अधीक्षक आरएन शर्मा समेत दस पुलिस कर्मियों का निलंबन किया गया था।

इन्हीं दो फरार कैदियों ने बाद में नादिया गिरोह के साथ मिलकर 13 मार्च 2008 को इकदिल थाना क्षेत्र के अमीनाबाद गांव में एक दलित परिवार के पांच लोगों की गोलियों से भून कर निर्मम हत्या कर दी थी।

एक ही परिवार की पांच दलितों की मौत ने न सिर्फ राज्य सरकार को बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी भूचाल ला दिया था और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अमीनाबाद का दौरा किया और दलित परिवार के जिंदा बचे मासूमों को गोद लेने का ऐलान किया वहीं मुख्यमंत्री मायावती ने भी दलित परिवार के इस सामूहिक हत्याकांड के बाद मासूमों की सुरक्षा के इंतजाम कड़े करने के निर्देश दिए थे।

इटावा जेल के अंदर कैदियों की मौत कोई आश्चर्य नहीं है। 13 जून 2008 को इटावा जिला जेल में एक कैदी ने अपना प्रतिशोध पूरा करने के लिए उसी बैरक में कैद कैदी उपेंद्र शर्मा की ईंटों से कुचल कर हत्या कर दी थी। इससे पहले 1987 मे बलरई इलाके के शिवराज सिंह ने अपने ही गांव के सुरेश यादव की जेल के भीतर लोटा मार कर हत्या कर दी गई। सुरेश यादव की हत्या के बाद 1990 शिवराज जेल से फरार हो गया था।

जेल मैनुअल के मुताबिक जेलो का हर तीन माह मे सघन निरीक्षण जिला जज, जिलाधिकारी और एसएसपी स्तर पर किया जाता है इससे सवाल खडा होता है अगर सघन निरीक्षण किया जाता है तो फिर जेल मे ऐसी चूक कैसे रह गई जो कैदी फरार होते जाते हैं।