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योगी आदित्यनाथ ने नंदी को रामायण न सुनने की दी नसीहत - Sabguru News
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योगी आदित्यनाथ ने नंदी को रामायण न सुनने की दी नसीहत

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योगी आदित्यनाथ ने नंदी को रामायण न सुनने की दी नसीहत
uttar pradesh chief minister yogi adityanath
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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्टांप एवं नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ को रामायण न सुनने की नसीहत दी है।

योगी मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गुरुवार को सोरांव जलालपुर क्षेत्र में फूलपुर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी कौशलेन्द्र सिंह पटेल के समर्थन में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने के बाद शहर के अल्लापुर के तुलसीमंच लेबर चौराहा क्षेत्र में दूसरी चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए मंच से एक पुराने प्रकरण में कैबिनेट मंत्री नंदी से चुटकी लेते हुए उन्हें रामायण या कथा न सुनने की नसीहत दी है।

उन्होंने यूपी इन्वेस्टर्स समिट पर चुटकी लेते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कोई इन्वेस्ट करे या न करे नंदी जी तो कर ही देंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार नंदी को बेस्ट कनेक्टिविटी के लिए सम्मानित करने जा रही है। इसके लिए नंदी जी को बधाई।

गौरतलब है कि गत रविवार को धूमनगंज क्षेत्र में प्रीतमनगर के दुर्गापूजा पार्क में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में भाजपा प्रत्याशी कौशलेन्द्र सिंह पटेल के लिए चुनावी जनसभा में एक कहानी सुनाते हुए कलयुग में रावण का जन्म मुलायम सिंह यादव के रूप में होने की बात कही थी।

साथ ही बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती को सूपर्णखा, शिवपाल सिंह यादव को कुंभकर्ण, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मेघनाद एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मायावी मारीच बताया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हनुमान बताकर उनका गुणगान किया था।

अमर्यादित टिप्पणी को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए कैबिनेट मंत्री नंदी ने कल अपना बयान वापस लेने का एक पत्र जारी किया। उन्हाेंने सफाई देते हुए अपने पत्र में लिखा है कि मुझे ज्ञात हुआ है कि चार मार्च 2018 को इलाहाबाद (प्रीतमनगर दुर्गापूजा पार्क) की जनसभा में मेरे कुछ वक्तव्यों से कुछ लोगों को पीड़ा पहुंची है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा आशय किसी को पीड़ा पहुंचाने या अपमानित करने का नहीं था।

उन्होंने आगे लिखा है कि मैं होली के अवसर पर आए एक वाट्सएप मैसेज को पढ़कर जनता को सुना रहा था, जो बुरा न मानो हाेली के शीर्षक के तहत लिखा गया था। इतिहास गवाह है कि मेरा जनतांत्रिक मूल्यों और संसदीय भाषा में पूरा विश्वास है, यदि मेरे कथन से किसी को भी पीड़ा पहुंची हो तो मैं वक्तव्य वापस लेता हूं।