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उत्तराखंड : चमोली में ग्लेशियर टूटने से बांध क्षतिग्रस्त, 100 से ज्यादा लोग लापता

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उत्तराखंड : चमोली में ग्लेशियर टूटने से बांध क्षतिग्रस्त, 100 से ज्यादा लोग लापता

उत्तराखंड आकस्मिक आपदा में अब तक 125 लापता
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में हुई आकस्मिक प्राकृतिक ग्लेशियर धंसने की घटना में अब तक 125 लोग लापता हैं तथा 10 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं।

घटना का अवलोकन करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस आपदा में प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 125 लोग लापता हैं। रैणी क्षेत्र के पांच लोगों को भी इसमें अपनी जान गवानी पडी है। अब तक 10 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं।

त्रिवेन्द्र ने रविवार को चमोली के जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई भीषण आपदा के तुरन्त बाद आपदा स्थल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। घटना स्थल से लौटने के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेन्टर में उन्होंने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्यों के लिए घटना स्थल पर पहुंची हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन एवं डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग के साथ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली से पूरी जानकारी ली। मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरूगेशन ने आपदा प्रबन्धन केन्द्र सचिवालय में मौजूद रहकर लगातार स्थिति पर नजर रखी तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिए।

उन्होंने कहा कि इस आपदा से रैणी के समीप स्थित ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान के साथ ही तपोवन स्थित एनटीपीसी की विद्युत परियोजना का भी कुछ नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मृतको के आश्रितों को तात्कालिक रूप में चार-चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला उदेद्श्य जान माल की सुरक्षा का है। ऋषिगंगा व एनटीपीसी द्वारा उन्हे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में एक बड़ा तथा चार छोटे पुलों को नुकसान पहुंचा है।

इससे प्रभावित लगभग 11 गांवों को आवश्यक सहायता आदि उपलब्ध कराने के लिये आर्मी हेलीपैड एवं एसडीआरएफ के जवानों के साथ ही आर्मी एवं राज्य सरकार के हेलीकाप्टरों की व्यवस्था के साथ ही आवश्यक चिकित्सा सुविधा के लिए डाक्टरो की भी व्यवस्था की गई है।

त्रिवेंद्र ने बताया कि रैणी के निकट नीति घाटी को जोडने वाले जिन सड़कों एवं पुलों को हुए नुकसान से जिन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया है। उनमें गहर, भंग्यूल, रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फगरासु आदि गांव शामिल है, तथा पुलों में रैणी में जुगजू का झूला पुल, जुवाग्वाड-सतधार झूलापुल, भग्यूल-तपोवन झूलापुल तथा पैंग मुरण्डा पुल बह गया है। रैणी मे शिवजी और जुगजू मे मां भगवती मंदिर भी आपदा मे बह गए है।

त्रिवेंद्र ने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है। खतरे वाली बात नहीं है। विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। करीब 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएपफ की टीम दिल्ली से आई है। कल और जवान आएंगे। आर्मी, पैरा मिलिट्री फोर्स और हमारे डाॅक्टर आपदा स्थल पर तैनात किए गए हैं। ऐरियल सर्वे कर उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। किसी भी प्रकार की जरूरत पड़ने पर वहां आर्मी, वायुसेना और राज्य के हेलीकाॅप्टर तैनात कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मेडिकल टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार है और 90 जवानों को भी वहां पहुंचा दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब खबर लगी तो उन्होंने उनसे फोन पर बात कर चिंता व्यक्त की और कहा कि मदद की जरूरत पड़ने पर वे मदद के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने मृतक आश्रितों को 02-02 लाख रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है।

त्रिवेंद्र ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, सीडीएस जनरल विपिन रावत आदि ने भी हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

उन्होंने बताया कि पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि वे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार हैं और हर स्थिति में सरकार के साथ हैं। शान्तिकुंज एवं विवेकानन्द अस्पताल पीपलकोटी ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने इस भीषण आपदा से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में अफवाह फैलने से बचाने में योगदान देने के लिए मीडिया को भी धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरत की पूर्ति करने की पूरी व्यवस्था हमारे पास है। हमारे पास रेस्क्यू टीम, मेडिकल, हेलीकाॅप्टर, एक्सपर्ट पर्याप्त मात्रा में है। सरकार का पूरा ध्यान जिनका जीवन बचा सकते हैं, उनकी ओर है। उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग के करीब पानी स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध से पानी खाली कर दिया गया था। साथ ही गंगा व अलकनंदा के किनारे तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आपदा से उत्पन्न स्थिति पर विचार विमर्श किया। उन्होंने निर्देश दिये कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्यो की निरन्तर निगरानी की जाय। उन्होंने कहा कि इसके लिये वांछित धनराशि की अविलम्ब व्यवस्था सुनिश्यित की जाय।

बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, एस.ए मुरूगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआइजी, डिजास्टर रिद्धिम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।

दूसरी ओर, जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई इस भीषण आपदा में बचाव व राहत कार्यो के सम्बन्ध में आईटीबीपी के कमांडेंट शेंदिल कुमार ने बताया कि आईटीबी के 250 जवान रेस्क्यू स्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे हैं। जिसमें मेडिकल ऑफिसर सहित आठ ऑफिसर भी शामिल है। एनटीपीसी पाॅवर हाऊस के आस पास के ईलाके में कार्य कर रहे हैं। दस से 15 लोग टनल में कहीं फंसे हैं, अभी अनुमान है कि ये लोग जिंदा है। इनको निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं।

गौचर में आईटीबीपी की आठवीं बटालियन की दो टीमें जिसमें 90 जवान हैं, घटना स्थल के लिए निकल चुके हैं। इसके अलावा गौचर एवं देहरादून में एक-एक कम्पनी आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। उत्तरकाशी में मातली एवं महिडाण्डा में भी एक-एक कम्पनी इस टास्क के लिए तैयार है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट माउंटयरिंग एवं स्कीइंग इंस्ट्टीयूट औली की दो टीमे तपोवन एरिया में पहुंच चुकी है।

सेना के कर्नल एस. शंकर ने बताया कि जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ ऑपरेशन के लिए आ चुके हैं। रूद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गए हैं।

एक इंजिनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। दो मेडिकल ऑफिसर एवं दो एम्बुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हैलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाईन चालू है। बरेली से दो हैलीकाॅप्टर भी जोशीमठ पहुंच गए हैं।

चमोली में ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ा

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार की सुबह ग्लेशियर टूटने से अलकनन्दा नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही अनिष्ट की आशंका को देखते हुए हरिद्वार जिले तक के गंगा किनारे की बस्तियों को खाली कराया जा रहा है।

राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के प्रवक्ता ने बताया कि पोस्ट जोशीमठ से हेड कांस्टेबल मंगल सिंह ने कहा कि जोशीमठ थाने में 10:55 बजे सूचना मिली की रैणी गांव में ग्लेशियर टूट गया है। जिसके बाद राहत और बचाव कार्य के लिए दो टीम मौके को रवाना किया गया है। धौल गंगा (अलकनन्दा) में पानी बहाव इतना तेज है कि वह डेढ़ घण्टे में चमोली को पार कर चुका है।

पुलिस इस प्राकृतिक आपदा के बाद हरिद्वार जिले सहित सभी संबंधित जिलों में अलर्ट जारी किया है तथा गंगा के किनारे बस्तियों को खाली कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन सचिव और चमोली के जिलाधिकारी से इस बारे में पूरी जानकारी ली तथा वह लगातार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। चमोली जिला प्रशासन, एसडीआरएफ के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए हैं। लोगों से गंगा नदी के किनारे नहीं जाने की अपील की गई है।

ग्लेशियर टूटने से गंगा नदी के किनारे जिले में हाई अलर्ट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखण्ड में नंदादेवी ग्लेशियर के एक भाग के टूटकर ऋषिगंगा नदी पर बने पावर प्रोजेक्ट डैम पर गिरने की सूचना प्राप्त हुई है जिससे अलकनंदा नदी में जल प्रवाह अचानक बढ़ गया है। बांध टूटने से उत्पन्न परिस्थितियों के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों के सभी जिलाधिकारियों/पुलिस अधीक्षकों को लगातार निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। परिस्थितियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एसडीआरएफ को भी अलर्ट कर दिया गया है। प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों में जल स्तर की निरन्तर निगरानी की जा रही है। जल स्तर बढ़ने की दशा में आवश्यकता पड़ने पर गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को वहां से अन्यत्र भेजा जाएगा। राहत और बचाव के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड सरकार के साथ खड़ी है। उत्तराखण्ड सरकार को आवश्यकता पड़ने पर सभी आवश्यक मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील है कि वे किसी भी अफवाह पर भरोसा न करें और न ही अफवाह फैलाएं। स्वयं सतर्कता बरतते हुए लोग नदी के किनारे न जाएं। किसी विषम परिस्थिति के उत्पन्न होेने पर जिला प्रशासन के साथ सहयोग करें। उत्तर प्रदेश सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है।