नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दो बच्चों के बाद तीसरे बच्चे के जन्म के समय महिलाओं को मातृत्व अवकाश नहीं दिए जाने संबंधि राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया।
वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा की एकलपीठ ने हल्द्वानी निवासी उर्मला मसीह की याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार के फैसले को रद्द किया। अदालत ने राज्य सरकार के कदम को असंवैधानिक बताते हुए तीसरे बच्चे के जन्म के लिए याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि कानून तीसरे बच्चे के लिये मातृत्व अवकाश देने में बाधक नहीं है।
मसीह अपनी याचिका में कहा था कि वह सरकारी कर्मचारी है और उसने 30 जून 2015 से नौ दिसंबर 2015 के बीच तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश के लिये आवेदन किया था लेकिन उसके आवेदन को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश प्रदान नहीं है।
अदालत ने कहा कि सरकार का यह कदम मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 की धारा 27 के विपरीत है। अदालत ने कहा कि यह अधिनियम तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश प्राप्त करने का निषेध नहीं करता है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम संविधान के मौलिक अधिकार के प्रावधानों के खिलाफ है।
अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के दो सदस्यीय खंडपीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पीठ ने रुखसाना बनाम हरियाणा सरकार के मामले में साफ-साफ कहा है कि कि मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में दो बच्चों के जन्म के बाद मातृत्व अवकाश न देने का प्रावधान मौजूद नहीं है।