नैनीताल। कोरोनिल मामले को लेकर घिरे योग गुरू बाबा रामदेव को शुक्रवार को उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने कोरोनिल को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की युगलपीठ में आज इस मामले में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने माना कि अधिवक्ता ने अदालत में गलत तथ्य पेश किए हैं और वह अपनी बात को साबित करने में अक्षम रहा है। अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है।
अधिवक्ता मनी कुमार की ओर से पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इस मामले में पक्षकार बनाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से कोरोनिल पर प्रतिबंध लगाने एवं पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की गई थी।
साथ ही केन्द्र सरकार, निदेशक, आयुष मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), उत्तराखंड सरकार एवं नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेंज (निम्स) जयपुर को पक्षकार बनाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हरिद्वार स्थित पंतजलि योगपीठ की ओर से विगत 24 जून को कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए कोरोनिल नामक दवाई ईजाद करने का दावा किया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से कोरोना की जिस दवाई को बनाने का दावा किया गया है, वह गलत है। उसके पास दवाई निर्माण के लिए किसी प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं है। कंपनी ने केन्द्र, राज्य एवं आयुष विभाग से इसके लिए लाइसेंस नहीं लिया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि पंतजलि आयुर्वेद की ओर से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को भी विश्वास में नहीं लिया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस दवाई को बनाने के लिए किसी प्रकार का कोई क्लिनिकल ट्रायल भी नहीं किया गया है। जो कि एकदम गलत है।