नैनीताल | प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने असंतोष जाहिर करते हुए राज्य सरकार से विस्तृत हलफनामा पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई की। मामले को ऊधमसिंह नगर जिला निवासी मुनिदेव की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता के वकील कौशल साह जगाती ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से इस मामले में कोई विभागीय कार्रवाई अमल में नहीं लायी गयी है। विभाग की ओर से कोई जांच नहीं की गयी है। इससे पहले सरकार की ओर से कहा गया कि योजना के क्रियान्वयन में तीन चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही की गयी है और कुछ अस्पतालों को पैनल से बाहर कर दिया गया है लेकिन कोर्ट सरकार की बात से सहमत नहीं हुई। जगाती ने कहा कि इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को विस्तृत हलफनामा पेश करने को कहा है।
जनहित याचिका में ऊधमसिंह नगर जनपद में आयुष्मान योजना के तहत अनियमितता की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि काशीपुर व बाजपुर के मरीजों को इलाज के नाम पर पहले 30 से 35 किमी दूर केलाखेड़ा स्थित प्राइमरी स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जा रहा है। इसके बाद मरीजों को पैनल में शामिल एक निजी अस्पताल स्थानांतरित कर दिया जा रहा है। साह ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र केलाखेड़ा में अधिक सुविधायें मौजूद नहीं हैं। इसलिये एक निजी चिकित्सालय को लाभ पहुंचाने के लिये ऐसा किया गया है।
उल्लेखनीय है कि आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनायें हैं। इनके तहत गरीब लोगों को पांच लाख तक की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करायी जाती है।