नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरूवार को पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ ने मामले की वर्चुअल सुनवाई करते हुए स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही उन्हें जांच में सहयोग करने और जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को कहा गया है।
स्वामी चिन्मयानंद तथा अन्य लोगों पर हरिद्वार में धोखाधड़ी से जमीन बेचे जाने का आरोप है। आरोप है कि पूर्व गृह राज्यमंत्री ने हरिद्वार निवासी अनुज सिंह, सागरमुनि तथा अंशुल श्रीकुंज के साथ मिलकर ब्रह्मलीन स्वामी सहज प्रकाश आश्रम की लक्सर रोड स्थित 36 बीघा कृषि भूमि को धोखाधड़ी से बेच दी है।
यह भी आरोप है कि ब्रह्मलीन स्वामी सहज प्रकाश की शिष्या साध्वी तृप्ता सरस्वती की ओर से जब इसका विरोध किया गया तो आरोपियों की ओर से उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।
पुलिस में शिकायत करने के बाद भी जब आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई तो साध्वी तृप्ता की ओर से उच्च न्यायालय की शरण ली गई और अदालत के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ इसी महीने चार जनवरी को धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने के मामले में रायवाला थाना में अभियोग पंजीकृत किया गया।
इसके बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए स्वामी चिन्मयानंद की ओर से आज उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया। इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ में हुई। वर्चुअल सुनवाई कर अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है।