नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की नई सूची से सांसद वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को जगह नहीं मिली है जिससे माना जा रहा है की गांधी को पार्टी के खिलाफ़ बागी तेवर अपनाने की वजह से यह सजा मिली है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पार्टी के सभी महत्वपूर्ण फैसलों में बड़ी भूमिका होती है।
बीते कुछ समय से किसान मुद्दे को लेकर वरुण गांधी अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद उन्होंने बगावती अंदाज़ में खुलकर सोशल मीडिया पर लिख रहे थे।
गुरुवार को गांधी ने एक वायरल वीडियो ट्वीट किया जिसमें एक जीप प्रदर्शनकारी किसानों को कुचलते हुए दिखाई दे रही है। गांधी ने लिखा कि वीडियो बिल्कुल साफ है। प्रदर्शनकारियों को हत्या कर चुप नहीं कराया जा सकता। किसानों के खून की जबावदेही होनी चाहिए और अहंकार व क्रूरता का भय बैठने से पहले किसानों को न्याय मिलना चाहिए।
इससे पहले पांच अक्टूबर को भी उन्होंने इसी घटना से जुड़ा एक और वीडियो शेयर किया था। गांधी ने मांग की थी कि पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कर तत्काल गिरफ्तार करे।
इस घटना के दिन वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। गांधी के बागी तेवर लखीमपुर खीरी हिंसा से पहले भी दिखाई दिए। उन्होंने गन्ने का मूल्य 400 रुपये घोषित करने की मांग की थी। इसके लिए गांधी ने योगी को पत्र भी लिखा था।
उन्होंने 12 सितंबर को भी किसानों के मुद्दे उठाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को खत लिखा था। तब उन्होंने भूमिपुत्रों की बात सुनने की अपील करते हुए पत्र में सात बिंदु लिखे थे। गांधी ने इसमें गन्ना के दाम, बकाया भुगतान, धान की खरीदारी समेत कई मुद्दों को उठाया था। पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में गांधी ने किसानों का समर्थन कर सरकार को असहज महसूस कराया था।