ऋषिकेश। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया ने रविवार को उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में गंगा आरती और विश्व शान्ति हवन में भागेदारी करने के साथ भंडारा आयोजित किया। उन्होंने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के वेदमंत्र पाठ और संस्कृत वाचन का श्रवण भी किया।
बाद में राजे ने कहा कि वर्तमान समय में गुरूकुलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण हो रहा है। समाज के सांस्कृतिक लोकाचार और आध्यात्मिकता का व्यापक प्रसार पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती के माध्यम से हो रहा है।
राजे ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों से युक्त विचारों की अनुरूपता न केवल हमें संभावित आंतरिक संघर्षों से बचाती है, बल्कि सहिष्णुता की भावना भी पैदा की इसलिए आज हमें ऐसे दिव्य गुरूकुलों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन गुरूकुल के छोटे-छोटे ऋषि कुमारों में संस्कार, आदर्शों, जीवन मूल्यों के साथ आध्यत्मिक जीवन शैली दिखायी देती है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राजस्थान में व्याप्त जल संकट के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि वर्तमान समय जल निकायों को पुनर्जीवित करने का है। राजस्थान में भूजल स्तर में वृद्धि और स्वच्छ पेयजल पर ध्यान केंद्रित करना होगा तभी गांवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी के उपयोग में वृद्धि के कारण राजस्थान सहित अन्य शहरों में भी जल प्रबंधन के लिए नए समाधानों को नियोजित किये जाने की आवश्यकता है। राजस्थान में जल के मुद्दों को हल करने के लिए समग्र और प्रणालीगत समाधान लागू किए जाने की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने कहा कि सम्पूर्ण मानवता के लिये जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व की लगभग 17 प्रतिशत आबादी वाला राष्ट्र भारत विश्व के ताजे जल संसाधनों का मात्र चार प्रतिशत ही रखता है, इसलिए जल के विवेकपूर्ण उपयोग और कुशलता पूर्वक उपयोग पर ध्यान देना होगा।