नयी दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आदिवासी समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों के सम्मान को संवैधानिक दायित्व बताते हुए मंगलवार को कहा कि दुनिया भर के जनजातीय समूह विविधता में एकता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
नायडु ने यहाँ ‘संविधान एवं आदिवासी’ विषय पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि विश्व का हर आदिवासी समुदाय विभिन्न रूपों में प्रकृति की पूजा करता है। ये पूजा पद्धतियाँ अलग हो सकती हैं, लेकिन प्रकृति के प्रति उनकी आस्था एक ही है। विविधता में एकता का इससे बड़ा उदाहरण संभव नहीं है। आधुनिक समय में जब दुनिया प्रकृति के अनुकूल स्थायी विकास के रास्ते तलाश रही है तो अादिवासी समुदाय इसके ‘गुर’ सिखा सकते हैं।
उन्होंने कहा, “आधुनिक समाज को आदिवासी समुदायों को पिछड़ा मान लेने की भ्रांति त्यागनी होगी। इन समुदायों की जीवंत और समृद्ध परम्परा है जिनका आदर करना होगा। ऐसा करना न केवल सामाजिक-नागरिक शिष्टाचार है, बल्कि हमारा संवैधानिक दायित्व भी है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी समाज के कल्याण के लिये कई कदम उठाये हैं। इसके लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना चाहिए।
नायडु ने इस अवसर पर राष्ट्रीय जनजाति आयोग के ‘एनसीएसटी नेतृत्व पुरस्कार 2019’ भी प्रदान किये। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल आेराम तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा, “आज राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर श्रद्धेय अटल जी को प्रणाम करता हूँ।” उन्होेंने कहा कि एक वरिष्ठ राष्ट्रनेता के रूप में श्री वाजपेयी ने आदिवासी समुदायों को देश की मुख्य धारा में शामिल करने और उनकी समस्यायें सुलझाने के लिए केंद्र में अलग जनजातीय कल्याण मंत्रालय की स्थापना की थी। उनके विराट व्यक्तित्व में शांति और शक्ति का अद्भुत सुयोग था। वह देश में संपर्क क्रांति और पोखरण में ‘ऑपरेशन शक्ति’ के सूत्रधार भी थे।
यह व्याख्यान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग (एनसीएसटी) के 15 वें स्थापना पर आयोजित किया गया था। आयोग की स्थापना 19 फरवरी 2004 को संविधान (89वां संशोधन) अधिनियम के तहत की गई थी। आयोग ने 31 दिसंबर 2018 को आयोजित अपनी 109वीं बैठक में स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
इस अवसर पर आदिवासी समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए भुवनेश्वर के कलिंग सामाजिक विज्ञान संस्थान, खेल कूद को बढ़ावा देने के लिए रांची के सेंट्रल कोल्डफील्ड्स लिमिटेड और समाज कल्याण के लिए अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की अंडमान आदिम जनजातीय समिति के जनजातीय कल्याण अधिकारी डा. प्रणब कुमार सिरकर को पुरस्कार प्रदान किया गया। सिरकर को यह सम्मान कमजोर जनजातीय समूह में ओंगेस, शोमपेन्स, अंडमानी और जारवा के कल्याण के लिए दिया गया है। विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप एक ‘शॉल’, एक प्रशस्ति पत्र और एक पदक प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाना वाला यह पुरस्कार देश में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण में उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय सेवा के लिए तीन श्रेणियों शैक्षणिक संस्थान एवं विश्वविद्यालय, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम एवं बैंक और किसी व्यक्ति विशेष, गैर सरकारी संगठन दिया जाता है।