आरक्षण एक ऐसी पहल जिसका श्रेय भारत के संविधान निर्माता भीम राव अम्बेडकर जी को है जिसकी शुरुआत का कारण हमारे समाज की जाति गत व्यवस्था को माना जाता है जिसके अन्तर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और सूद्र ये चार वर्ण है। जो की वर्तमान समय में समान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अनसूचित जाती और जनजाति के रूप में है।
जिसके अंतर्गत हमारा समाज हजारों जातियों मे बांटा हुआ है जिसके चलते आज भी सामाजिक असमानता मौजूद है। जिसका फायदा अक्सर राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के समय उठया जाता है। जिसके कारण देश के विकास आज भी एक विभाजन में फसा हुआ है यदि भारतीय प्राचीन इतिहास का अध्ययन किया जाए तो वैदिक काल से इसकी शुरुआत हुई तब समाज मे इन चार धर्मो के आधार पर सभी कार्य सम्पन्न किए जाते थे ब्राह्मणों का कार्य वैदिक अनुष्ठान करना क्षत्रियों का कार्य जनता कि रक्षा करना वैश्यों का कार्य व्यवसाय करना वा सुद्रो का कार्य सबकी सेवा करना था और कर्म के आधार पर यह धार्मिक पहचान मिलती थी।
किन्तु स्वार्थ के कारण उत्तर वैदिक काल में इस व्यवस्था को जन्म के आधार पर तय कर दिया गया जिसके चलते योग्यता की पहचान समाप्त हो गई और समय के साथ अनेक जातियां बनने लगी लोगो के बीच भेदभाव बड़ने लगा यह सब समाज के कुलीन वर्गों द्वारा किया गया लेकिन आधुनिक समय मे समाज में उन महान लोगों ने जन्म लिया जिनमें महात्मा गांधी,स्वामी विवेकानंद, श्रद्धानंद सरस्वती जैसे पुजयनी मनुष्य थे जिन्होंने समाज को एक होने की प्रेरणा दी लेकिन इनके अलाव एक शक्सियत और भी थी बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जो की पिछड़ी जातियों के लिए वरदान साबित हुए और आरक्षण को इनका मूलभूत अधिकार बनाया किन्तु इसका समय निश्चित कि या गया जिसके पश्चात इसे समाप्त करना था परन्तु समानता न आने के कारण राजनीितक दलों द्वारा इसकी समय सीमा को बड़ा दिया गया।
लेकिन अब आरक्षण को एक राजनीतिक हथियार बना लिया गया है जो इसके विरुद्ध बोले गा उस पर यह हथियार इस्तेमाल किया जएगा और वो भी जनता के द्वारा। इसका इस्तेमाल करने पर पीड़ित व्यक्ति समझ जाता है कि इसका कोई तोड़ नहीं है और हार स्वीकार कर लेता है किन्तु ऐसी कोई चीज नहीं जिसका तोड़ न हो परन्तु कोई प्रयास नहीं करता इसका नुकसान समाज के लोग ही उठा रहे हैं और यह हथियार एक समस्या बनता जा रहा है और यह एक सरकारी हथियार है जिसका इस्तेमाल सिर्फ पिछड़ी जातियों ही कर सकती है लेकिन यह हथियार कितना घटिया बन चुका है जो अभी तक असमानता को नहीं मिटा पाया है।
फिर भी सरकार जनता को इसका इस्तेमाल कर लाभ उठाने की विधियां बताती है और मूर्ख लोग इसका इस्तेमाल करते हैं जो कायर भी है और विजयी होने की कामना करते हैं लेकिन ये मूर्ख लोग क्या जीत सकते है कभी नहीं जीतेगा वहीं जो अपने बौद्धिक हथियार का उपयोग करेगा न कि इस पुराने जमाने के कवाड़े का उपयोग करके इसलिए जो इस हथियार को उठाने की प्रेरणा दे समझो वह कायर और डरपोक है जो कभी भी इसके द्वारा समाज की रक्षा नहीं कर पायेगा बल्कि लोगों को आपस में मरवाएगा।
शुभम् शर्मा ( स्वतंत्रटिप्पणीकार)