मुंबई। हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता और पटकथा एवं संवाद लेखक कादर खान का सोमवार शाम निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। खान के एक रिश्तेदार ने मंगलवार को बताया कि उनका इंतकाल हो गया है।
अभिनेता लंबे समय से बीमार थे और लगभग 16-17 सप्ताह से टोरंटो के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने बताया कि खान का निधन स्थानीय समयानुसार शाम लगभग छह बजे इंतकाल हो गया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सदस्य यह तय करेंगे कि उन्हें कनाडा में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा या उनके पार्थिव शरीर को भारत लाया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी हाजरा, पुत्र सरफराज, बहू और पोते-पोतियां हैं।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे कादर खान
बॉलीवुड में कादर खान को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर याद किया जायेगा जिन्होंने सहनायक, संवाद लेखक, खलनायक, हास्य अभिनेता और चरित्र अभिनेता के तौर पर दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाई।
कादर खान के अभिनय की एक विशेषता रही है कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिए उपयुक्त थे। फिल्म ‘कुली’ एवं ‘वर्दी’ में क्रूर खलनायक की भूमिका हो या फिर ‘कर्ज चुकाना है’ एवं ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ फिल्म में भावपूर्ण अभिनय या फिर ‘बाप नंबरी बेटा दस नंबरी’ और ‘प्यार का देवता’ जैसी फिल्मों में हास्य अभिनय, इन सभी चरित्रों में उनका कोई जवाब नहीं है।
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई उस्मानिया विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने अरबी भाषा के प्रशिक्षण के लिए एक संस्थान की स्थापना करने का निर्णय लिया। उन्हों अपने करियर की शुरूआत बतौर प्रोफेसर मुंबई में एमएस सब्बों सिद्धिक कालेज आफ इंजनीयरिंग से की।
वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म ‘दाग’ से उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखा लेकिन इससे उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिला और वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। इसके बाद उन्होंने दिल दीवाना, बेनाम, उमर कैद, अनाड़ी, बैराग, खून पसीना, परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, अब्दुल्ला, दो और दो पांच, कुर्बानी, याराना. बुलंदी और नसीब जैसी कई फिल्में की। इन फिल्मों की सफलता के बाद कादर खान फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।
बाद की कई फिल्मों में उन्होंने हास्य अभिनय के भी झंडे गाड़े। जुड़वा, जुदाई, सुहाग, मुझसे शादी करोगी, लकी: नो टाइम फॉर लव, हसीना मान जाएगी, दूल्हे राजा, कुली नंबर 1 और साजन चले ससुराल जैसी फिल्मों में अपने हास्य अभिनय से उन्होंने दर्शकों को लोटपोट कर दिया। गोविंदा के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की थी और कई फिल्मों में दोनों कलाकारों ने साथ काम किया।
उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में कई फिल्मों में पटकथा एवं संवाद लेखन किया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। रोटी, मिस्टर नटवरलाल, सत्ते पे सत्ता, इंकलाब, दो और दो पांच, हम और अग्निपथ जैसी सुपरहिट फिल्मों में संवाद और पटकथा लेखन किया।
कादर खान फिल्मों में कैरियर बनाने से पहले मुंबई के एम एच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाते थे। इस दौरान कादर खान कॉलेज में आयोजित नाटकों में हिस्सा लेने लगे। एक बार कॉलेज में हो रहे वार्षिक समारोह में उन्हें अभिनय करने का मौका मिला। इस समारोह में अभिनेता दिलीप कुमार उनके अभिनय से काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म ‘सगीना’ में काम करने का प्रस्ताव दिया।