नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते हुए कहा है कि राम मंदिर निर्माण के लिए अनंत काल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं और अदालती कार्यवाही पूरी होने से पहले सरकार को कानून लाकर अयोध्या में राम मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न्यायालय का इंतजार काफी लंबा हो जाएगा और हिंदू अनंत काल तक ऐसे नहीं रह सकते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और शीर्ष न्यायालय चार जनवरी को यह फैसला करेगा कि मामले की सुनवाई कब से शुरू की जाए।
मोदी ने नव वर्ष के अवसर पर मंगलवार को एक साक्षात्कार में कहा था कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने से पहले अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश नहीं लाया जाएगा।
प्रधानमंत्री के इस बयान के एक दिन बाद वीएचपी के कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने से पहले राम मंदिर बनाने का कानून लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीएचपी की मंशा है कि मोदी सरकार वर्तमान कार्यकाल में ही राम मंदिर पर फैसला करे। वीएचपी मोदी से इस संबंध में अध्यादेश लाने का आग्रह करती रहेगी।
राम मंदिर को लेकर वीएचपी की आगे की रणनीति का जिक्र करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि कुंभ मेले में इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। कुमार ने कहा कि प्रयागराज के कुंभ मेले में 31 जनवरी को धर्म संसद का आयोजन होगा जिसमें राम मंदिर पर आगे क्या कदम होगा संत फैसला करेंगे।
उन्होंने कहा कि धर्म संसद में संतों का जो फैसला होगा परिषद उसी के अनुरूप आगे कदम उठाएगी। राम मंदिर को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की गति को धीमा बताते हुए कुमार ने कहा कि यह मुद्दा 69 वर्षों से अदालती लड़ाई में उलझा हुआ है। शीर्ष अदालत में इसकी सुनवाई के लिए अभी तक न्यायाधीशों की पीठ भी नहीं बनी है। ऐसे में लगता है कि इस मामले पर सुनवाई जल्दी शुरू नहीं होने वाली है।
कुमार ने कहा कि मोदी से आग्रह किया जाएगा कि राम मंदिर के संबंध में अध्यादेश को लेकर वह अपनी राय में बदलाव करें। वीएचपी अध्यक्ष ने कहा कि राम मंदिर को लेकर परिषद 350 सांसदों से मिल चुकी है। कांग्रेस पर हमला करते हुए परिषद ने कहा कि कांग्रेस राम मंदिर के मामले को न्यायालय में लटकाना चाहती है।