जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए सबको मिलकर प्रयास करने की जरुरत बताते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि अब वो दिन दूर नहीं जब संविधान में संशोधन करके संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। अगर महिलाओं को यह आरक्षण जल्द मिल गया तो भारत वर्ष 2047 से पहले ही विश्व शक्ति बन जाएगा।
धनखड़ सोमवार को जयपुर में विश्वविद्यालय महारानी महाविद्यालय की छात्राओं के साथ राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आसमान ही सीमा है, वे हर क्षेत्र में प्रशासन, सेना, कॉरपोरेट में सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने निर्णय स्वयं ले और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने। पुरुषों की नकल मत कीजिए, वे आपसे श्रेष्ठ नहीं हैं, अपने आपको मौलिक रखिये।
उन्होंने छात्राओं को तीन मंत्र दिए पहला कभी तनाव मत लीजिये, टेंशन लेने से कुछ नहीं होता। दूसरा असफलता से कभी मत डरिये और तीसरा यह है कि आपके दिमाग में कोई अच्छा विचार आए तो उसे जमीन पर लागू करे। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अति-प्रतिस्पर्धा में ना पड़ने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपनी रुचि के अनुसार कैरियर के चुनाव करना चाहिए। धनखड़ ने महिला शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि लड़के को पढ़ाने से एक परिवार ही तरक्की करता है लेकिन यदि एक लड़की को पढ़ाते हैं तो कई परिवार शिक्षित होते हैं।
एक छात्रा द्वारा महिला सुरक्षा पर पूंछे गए प्रश्न के उत्तर में धनखड़ ने कहा कि यह केवल सरकार तंत्र का ही काम नहीं है बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने में समाज, व्यक्ति और संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे। हर सक्षम व्यक्ति यह निश्चय करे कि वह इस विषय पर अपना योगदान करेगा। असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने पर बल देते हुए उन्होंने खुशी व्यक्त की की हम अंग्रेजों की बनाई दंड संहिता को बदल रहे हैं।
धनखड़ ने कहा कि मेरे जीवन में एक ही ताकत है- मेरी नानी, दादी, मेरी मां और मेरी धर्मपत्नी। पांच दशक के सार्वजनिक जीवन मे अनेक उतार चढ़ाव आए, लेकिन ये महिलाएं मेरे पीछे चट्टान के समान अडिग खड़ी रहीं। महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में आ रहे बदलाव को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा मे ‘चेयरमैन’ की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्द ‘चेयरपर्सन’ को बढ़ावा दिया है। अब ‘पेनल आफ वाइस चेयरमैन की जगह ‘पेनल ऑफ चेयरपर्सन शब्द का प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने बताया कि मैंने पहली बार राज्य सभा के उपसभापति पेनल में 50 प्रतिशत महिलाओं की नियुक्ति की है और उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। राज्य सभा में महिला सशक्तीकरण के लिए उठाए अन्य कदमों के विवरण देते हुए धनखड़ ने कहा कि मैं जब भी देश-विदेश की यात्रा के लिए डेलिगेशन के नामों का निर्णय करता हूं तो उसमें महिलाओं को प्राथमिकता देता हूं ताकि जिन लोगों को अभी तक बाहर जाने का मौका नहीं मिला था, उन्हें भी अवसर मिले।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की प्रगति में रुकावट पैदा करने के अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन अब समाज का दृष्टिकोण बदल रहा है। वर्ष 2019 में पहली बार लोकसभा में 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर आई हैं। विश्व महिलाओं के योगदान के बिना प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 और अब लेटेस्ट आदित्य एल-1, इन तीनों प्रयासों की रीढ़ की हड्डी महिलाएं हैं। चंद्रयान और आदित्य मिशन की सफलता में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि इसी नारी शक्ति के आधार पर भारत दुनिया को बदलेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान देखा है कि भारत के प्रतिनिधि को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है। दस वर्ष पूर्व हमारी गिनती कमजोर पांच में होती थी और आज हम विश्व की शीर्ष पांचवीं अर्थव्यवस्था हैं और शीघ्र ही हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।
उन्होंने छात्राओं से प्रश्न किया कि ऐसे ‘मजबूत भारत’ को क्यों कुछ लोग ‘मजबूर भारत’ दिखाना चाहते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में आप शांत मत बैठिये बल्कि ऐसे लोगों को जवाब दीजिये जो हमारे देश और संस्थाओं पर कालिख पोतने का काम करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि आप देश में 50 प्रतिशत हैं, आपको आगे बढ़कर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये, भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना चाहिए।
बिजली, पानी, पेट्रोल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय रोकने पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा कि हम इन संसाधनों के ट्रस्टी हैं और इनका प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए, ऐसा न हो कि कोई अमीर है तो अनावश्यक पेट्रोल फूंके। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अपील की कि मौलिक अधिकारों के साथ साथ वे मौलिक कर्तव्यों को भी अमल में लाएं।
आर्थिक राष्ट्रवाद पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि थोड़े से पैसों के लाभ के लिए हमें आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रश्न किया कि खिलौने और दीवाली के दिये जैसी चीजें बाहर से क्यों आनी चाहिए?
धनखड़ राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और सभागार में मौजूद अपने पूर्व प्रोफेसरों को देख कर उन्होंने कहा कि आज का दिन उनके लिए शुभ है क्योंकि कल शिक्षक दिवस है और आज मुझे अपने गुरुजनों के दर्शन का सौभाग्य मिला है। इस अवसर पर डॉ धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़, राजस्थान विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रो. राजीव जैन, विश्वविद्यालय महारानी महाविद्यालय की प्रिंसिपल प्रो निमाली सिंह आदि मौजूद थे।