नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि देश अर्थव्यवस्था और अन्य मोर्चों पर आगे बढ रहा है लेकिन संसद में सुचारू ढंग से काम नहीं होने से वह आहत हैं।
उपराष्ट्रपति के रूप में उनके एक साल के कार्यकाल पर आधारित पुस्तक मूविंग ऑन..मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन ऑफिस के विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा कि मैं कुछ अप्रसन्न हूं कि संसद में अपेक्षानुसार काम नहीं हो रहा है। अन्य सभी मोर्चों पर चीजें आगे बढ रही हैं। विश्व बैंक, एडीबी, विश्व आर्थिक मंच और अन्य जो रेटिंग दे रहे हैं वह प्रसन्नता का विषय है। आर्थिक मोर्चे पर जो भी हो रहा है उससे हर भारतीय को गर्व होना चाहिए।
पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौडा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरूण जेटली, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे।
नायडू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुशासन बेहद जरूरी है। उनका मानना है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े व्यक्ति को जनता के समक्ष अपनी उपलब्धियों और कार्यों का लेखा जोखा देना चाहिए।
आचरण को आदर्श से ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को मिलकर आम सहमति से काम करना होगा जिससे संसद सुचारू ढंग से चले। यदि संसद ठीक से चलेगी तो विधानसभाओं, निगम और अन्य निकायों को भी प्रेरणा मिलेगी और अंतत देश का युवा भी इससे सीख लेगा।
उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में शुरूआती सत्रों में अच्छा काम नहीं हुआ लेकिन पिछले संसद सत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के कल्याण से संबंधित विधेयक पारित हुए जिससे सरकार की इन वर्गों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता का पता चलता है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि आरक्षण का लाभ समाज के हर वंचित तथा पिछडे वर्ग को मिलना चाहिए। महिला सशक्तीकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अवसर मिलने पर महिलाएं हर क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं और किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं है इसलिए उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव किसी भी स्तर पर नहीं होना चाहिए।
नायडू ने इस मौके पर कुछ सुझाव देते हुए कहा कि सभी दलों को दलगत राजनीति से उपर उठकर ससंद सदस्यों के लिए संसद के भीतर और बाहर उनके आचरण के बारे में आचार संहिता बनानी चाहिए। दल-बदल विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और उससे जुडे मामलों का निपटारा शीघ्र होना चाहिए।
राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों का तेजी से निपटारा होना चाहिए। देश में कहीं बाढ़ और कहीं सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए नदियों को जोडने की परियोजना पर गंभीरता से काम होना चाहिए।
ग्रामीण भारत को देश की रीढ़ करार देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने नारा दिया था चलो गांव की ओर। हमें इसे ध्यान में रखते हुए गांवों, किसानों और कृषि के विकास पर पूरा जोर लगाना होगा। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि खाद्यान के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर तो हो गया है लेकिन जिस तेजी से आबादी बढ रही है उससे निपटने के लिए हमें गांव और किसानों तथा खेती पर जोर देना होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि क्षेत्र को निरंतर समर्थन दिये जाने की जरूरत है। वित्त मंत्री इस कार्यक्रम में मौजूद हैं उन्हें शायद यह बात उचित न लगे क्योंकि उनका काम हर क्षेत्र पर ध्यान देने का है। लेकिन यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि लोग खेती छोड रहे हैं और उन्हें इससे जोडे रखने के लिए खेती पर अधिक ध्यान देना समय की जरूरत है। इसी दिशा में सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है जिसे हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए।