जयपुर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा पिछले दिनों जारी किए गए 12वीं कक्षा के विज्ञान वर्ग के परिणाम में विद्या भारती संस्थान से जुड़े विद्यालयों ने परचम लहराया है। पूरे राजस्थान में विद्या भारती विद्यालयों का परिणाम 95.42 प्रतिशत रहा है। इसके साथ ही आधा दर्जन विद्यार्थियों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त कर नाम रोशन किया है।
परिणाम में सर्वाधिक अंक जयपुर जिले के उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर झोटवाड़ा के छात्र आयुष गोयल ने 98.80 व बाड़मेर जिले के आविम गडरा रोड के छात्र अभिषेक जोशी ने 98 प्रतिशत प्राप्त किए हैं।
इनके साथ ही बाड़मेर के गडरा रोड आविम के छात्र भरत भंसाली ने 97 प्रतिशत, भरतपुर जिले के आविम रंजीतनगर के छात्र देवव्रतसिंह ने 96.60, सवाईमाधोपुर जिले के आविम विवेकानंदपुरम के छात्र पराग मथुरिया ने 96.20 व बूंदी जिले के नैनवा मार्ग आविम कीबहिन कात्यायनी वशिष्ठ ने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त कर गौरवान्वित किया है।
जयपुर जिले में अव्वल रहे छात्र आयुष गोयल का कहना है कि मार्च में अचानक परीक्षाएं स्थगित होने से और फिर लॉकडाउन के चलते एक बार तो आत्मविश्वास डगमगा गया था, लेकिन विद्यालयों के शिक्षकों ने ऐसे समय में मुझे प्रोत्साहित किया।
इसी का परिणाम है कि कई विषयों में 100 में 100 अंक प्राप्त किए हैं। आयुष भविष्य में आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहता है। उसने अपनी सफलता का श्रेय आचार्यों व परिजनों के सान्निध्य में नियमित पढ़ाई को दिया है।
वहीं झोटवाड़ा आविम के प्रधानाचार्य रघुवीरसिंह का कहना है कि आयुष की पूरी शिक्षा अरूण से लेकर द्वादश तक विद्या मंदिर में ही हुई है। कक्षा में अध्ययन के बाद विषयों के नियमित टेस्ट लेकर कमजोरी को दूर कर मजबूत बेस तैयार किया गया।
घर पर अध्ययन के दौरान आने वाली कठिनाईयों को मोबाइल पर बात करके दूर किया जाता रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि आयुष द्वारा बिना कोचिंग ज्वाइन किए नियमित अध्ययन के द्वारा सफलता प्राप्त कर सबको गौरवान्वित किया है।
बोर्ड द्वारा जारी किए गए परिणाम में विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के विद्यालयों में अध्ययनरत 1683 विद्यार्थियों में से 1305 प्रथम श्रेणी, 299 द्वितीय व 2 छात्रों ने तृतीय श्रेणी उत्तीर्ण हुए हैं। वहीं पूरे राजस्थान में 48 विद्यार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं।
परीक्षा परिणाम के बारे में विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष प्रो. भरतराम कुम्हार ने बताया कि हांलाकि यह पहली बार नहीं है, लेकिन अन्य विद्यालयों की तुलना में आदर्श विद्या मंदिरों का श्रेष्ठ परिणाम रहा है। कई विद्यालयों का तो शत प्रतिशत भी परिणाम रहा है।
इसका सबसे बड़ा कारण है परम्परागत शिक्षा पद्धति से अलग हटकर बालकों की एकाग्रता बढ़ाने के लिए चलाई जाने वाली अतिरिक्त गतिविधियां। इसके साथ ही अवकाश दिनों में विद्यार्थियों को आने वाली कठिनाईयों को आचार्यों की सहायता से दूर करने से श्रेष्ठ परिणाम में सहायक हुए हैं