अशिवन मास की शुक्ल पक्ष दशम को राम चन्द्र भगवान ने सीताजी को रावण के कब्जे में से मुक्त करने के लिए राजा रावण पर लड़ाई करने से पहले शमी वृक्ष का पूजन किया गया था । बाद में लंका नगरी में प्रवेश किया था और उसी दिन बारह वर्ष का गुप्त वास भुगत रहे पांडवों विराट राजा के वहा गए तब उन्होंने शमी वृक्ष पर छुपाये हुए अपने शस्त्र बाहर निकाल कर उसका पूजन किया था उनके शस्त्र की शमी वृक्ष ने रक्षा की थी, शमी वृक्ष के महिमा के कारण भी विजया दशमी का महत्व ज्यादा है, नव रात्री के त्योहार का यह अंतिम दिन है, उस दिन व्रत छूटता है । उस दिन को दशहरा भी कहते हैं । बंगाल में दुर्गा पूजा समारोह का अंतिम दिन माना जाता है ।
उस दिन शमी पूजन करते हैं, और इसके अलावा, घोड़े, गौ आ, बैल को स्नान करावकार, सजाकर पूजन किया जाता है, कुछ लोग घोड़े बैल को दौड़कर प्रति योगिता आयोजित कर के आनंद उठाते हैं, क्षत्रिय यह दिन रैली निकालते हैं, किसी भी शुभ कार्य करने के लिए यह दिन को शुभ माना जाता है । पटना में गांधी मैदान के साथ पूरे देश में वर्षो से चली आ रही रावण वध की परम्परा साझी भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत हे, मैदान में रावण के पुतले का निर्माण किया जाता है, मुस्लिम समाज के कारीगर रावण, मेघनाद, और कुम्भ कर्ण के पुतले का निर्माण करते हैं, बारिश या जल भराव होने के बावजूद वो अपना काम पूरा करते हैं ।
पटना में गांधी मैदान में रावण वध की परम्परा 1955 से चली आ रही है, पुतले बनाने का काम ‘गया’ के रहने वाले मोहम्मद जाफर के नेतृत्व में चलता है, उनकी टीम मे सासाराम और डेहरी ऑन सोन के कारीगर भी शामिल होते हैं, जफर के पिताजी नूर मोहम्मद प्रयाग राज में ये कला सीखे थे, 75 फिट का रावण, 65 फिट का मेघनाद और 60 फिट का कुम्भ कर्ण का पुतला बनाया जाता है ।
बुराई का प्रतीक रावण को जलता देखकर खुशी होती है । समाज में बुराई के प्रतीक रावण को जलाने की जरूरत है । बांस को काटकर उन्हें पुतलों की आकृति में ढाला जाता है। आकृति पर पेपर लगाकर पैंट लगाया जाता है, फ्लैक्स के जरिए रावण के दश शिर और आँखों की आकृति बनाई जाती है, आकृति के बाद कपड़े, काग़ज़ और सूत ली का प्रयोग किया जाता है ।
दशहरा पाप के अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है, धार्मिक कथनानुसार उसी दिन राम ने रावण का वध किया था, रावण महा पंडित और ज्ञानी था, उसने अपने बल पर देवता ओ को भी पराजित किया था, रावण से अहंकार मे एक भूल हो गई और वह भगवान राम के साथ युद्ध कर बैठा, रावण इश्वर के बनाए गए नियमों में बदलाव लाना चाहता था, यदि वो जिंदा रहता तो सात अधूरे काम पूरे करके दुनिया का स्वरूप बदल देता, वो सात काम की जानकारी :
1. पहला स्वप्ना था धरती से स्वर्ग तक कि सीढ़ी का निर्माण करना चाहता था, उसने सीढ़ी निर्माण कार्य शुरू कर दिया था
2. दूसरा स्वप्ना था कि, समुद्र का पानी मीठा बनाया जाय, जिसके कारण पानी की कमी न हो औऱ पीने के पानी की समस्या हल हो जाये ।
3. सोने मे सुगंध भरने का स्वप्न था, उसने अपनी नगरी सोने की बना दिया था, वो सोने का बड़ा शौकीन था ।
4. वो रंग भेद खत्म करना चाहता था क्यू की लोग काले लोगों के साथ दुर्व्यवहार न करे, रावण खुद ही काला था ।
5. खून का रंग सफेद करना चाहता था, जिसके कारण यदि किसी का वध किया जाय तो पता न चले ।
6. मदिरा को गंध हीन बनाया जाय, मदिरा पीने से किसी को पता न चले ।
7.आख़िरी सातवां स्वप्न था कि, संसार में भगवान की पूजा बंध हो जाय और अपनी (रावण) की पूजा हो ।
रावण के यह स्वप्नों को राम ने उसका वध करके खत्म कर दिया । नवरात्रि के आखिरी दिन विजयोत्सव मनाया जाता है, दशहरा के रूप में मनाया जाता है, लोग जलेबी का आहार करते हैं, रावण को जलाना मतलब अपने मे पड़े हुए अवगुणों का त्याग करके अच्छे गुण धारण करना यही उसकी सार्थकता है ।