नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे एवं उसके गुर्गों के साथ राज्य पुलिस की मुठभेड़ का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है।
उच्चतम न्यायालय में इन मुठभेड़ कांडों की स्वतंत्र जांच को लेकर जहां दो जनहित याचिकाएं शनिवार को दायर की गयी, वहीं एक अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को पत्र याचिका (लेटर पिटीशन) भी भेजी है।
पहली याचिका उच्चतम न्यायालय के वकील अनूप अवस्थी ने दायर की है, जिसमें विकास दुबे और उसके गुर्गों के साथ हुई पुलिस मुठभेड़ की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से अथवा कोर्ट की निगरानी में कराये जाने की मांग की गयी है।
अवस्थी ने अपनी याचिका में सवाल उठाया है कि क्या त्वरित न्याय के नाम पर पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में ले सकती है? वहीं पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने जनहित याचिका दायर करके मुठभेड़ की इन घटनाओं को विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है।
पीयूसीएल ने अपनी याचिका में कहा है कि मुठभेड़ के संदर्भ में पुलिस के बयान कई गंभीर सवाल पैदा करते हैं इसलिए शीर्ष अदालत से अनुरोध है कि वह इसकी जांच के लिए अपने किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करे।
इस बीच, मुंबई के अधिवक्ता अटल बिहारी दुबे ने सीजेआई को पत्र लिखकर कथित मुठभेड़ों में शामिल उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश देने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि मुंबई के ही एक अन्य अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत से करीब पांच घंटे पहले ही ऑनलाइन याचिका दायर करके उसकी जान की हिफाजत की मांग की थी। उन्होंने आशंका जतायी थी कि हो सकता है कि विकास को भी उसके अन्य साथियों की तरह फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया जाये।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को आज एक पत्र भेजकर मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी अनुरोध किया है। उस याचिका में विकास के साथियों की कथित मुठभेड़ में हुई मौत की जांच कराने के निर्देश देने की मांग की गयी थी हालांकि उसके चंद घंटों बाद ही विकास भी मारा गया था।
पीयूसीएल ने अपनी याचिका में कहा है कि मुठभेड़ के संदर्भ में पुलिस के बयान कई गंभीर सवाल पैदा करते हैं इसलिए शीर्ष अदालत से अनुरोध है कि वह इसकी जांच के लिए अपने किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करे।
इस बीच, मुंबई के अधिवक्ता अटल बिहारी दुबे ने सीजेआई को पत्र लिखकर कथित मुठभेड़ों में शामिल उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश देने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि मुंबई के ही एक अन्य अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत से करीब पांच घंटे पहले ही ऑनलाइन याचिका दायर करके उसकी जान की हिफाजत की मांग की थी। उन्होंने आशंका जतायी थी कि हो सकता है कि विकास को भी उसके अन्य साथियों की तरह फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया जाये।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को आज एक पत्र भेजकर मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी अनुरोध किया है। उस याचिका में विकास के साथियों की कथित मुठभेड़ में हुई मौत की जांच कराने के निर्देश देने की मांग की गयी थी हालांकि उसके चंद घंटों बाद ही विकास भी मारा गया था।