कानपुर। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कानपुर जिले के चौबेपुर क्षेत्र में पिछले वर्ष 2 व 3 जुलाई की मध्य रात्रि को हुए बिकरू कांड के करीब आठ माह बाद आज विकास दुबे को फररी के समय आश्रय देने वाले समेत उसके सात सहयोगियों को गिरफ्तार असलहा और नगदी बरामद की है।
सोमवार को यहां एसटीएफ कार्यालय में अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने संवाददाताओं को बताया है कि फरारी के दौरान विकास दुबे की मदद करने वाले सात मददगार कानपुर देहात निवासी विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला,रामजी उर्फ राधे, अभिनव तिवारी, मध्य प्रदेश के मनीष यादव और कानपुर देहात के संजय परिहार, शुभम पाल को गिरफ्तार किया है।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से एसटीएफ को एक सेमी ऑटोमैटिक राइफल, 9 एमएम कार्बाइन, एक रिवॉल्वर, 315 बोर के तमंचे, एके-47 के कारतूस, स्प्रिंग फील्ड राइफल समेत करीब 132 कारतूस बरामद किए हैं। उन्होंने बताया कि विकास दुबे का आईफोन, अमर और प्रभात के मोबाइल, दो लाख पांच हजार नगद मिले हैं। साथ ही एसटीएफ ने वह कार भी बरामद कर ली है, जिससे विकास दुबे घटना को अंजाम देने के बाद फरार हुआ था।
यश ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ पर यह भी पता चला है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उसमें एक व्यक्ति के घर पर विकास दुबे दो दिन तक रहा है।
गौरतलब है कि कानपुर के चौबेपुर के बिकरु गांव में दो,तीन जुलाई की मध्य रात्रि पुलिस दबिश पर गई थी। पुलिस टीम पर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। घटना को अंजाम देने के बाद ही विकास दुबे रात में ही भागकर अपने सहयोगियों के पास जाकर छिप गया था। घटना के करीब एक सप्ताह बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे को महाकाल मंदिर से पकड़कर यूपी एसटीएफ के सुपुर्द किया था। मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय गाड़ी पलट जाने पर विकास ने भागने की कोशिश की और पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था । विकास के अलावा उसके कई साथी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं । इस मामले में 36 लोग जेल में हैं।