नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे नेताओं ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी में किसान परेड के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं की कड़ी निन्दा की है और कहा है इससे दो महीने से चल रहा यह आन्दोलन कमजोर होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेन्द्र यादव ने मंगलवार को कहा कि लाल किला परिसर में किसानों ने जो झंडा फहराने का प्रयास किया वह अक्षम्य है। ऐसे लोग संयुक्त किसान मोर्चा के हिस्सा नहीं हो सकते। इससे किसान आन्दोलन कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि जिस संगठन ने यह हरकत की है उसकी जानकारी प्रशासन को थी।
यादव ने किसान संगठनों से पूर्व निर्धारित मार्ग पर ही परेड निकालने की अपील करते हुए कहा कि हिंसा से आन्दोलन कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि परेड में अनुशासनहीनता किसान संगठनों की असफलता है। किसान नेतृत्वकारी लोग अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते।
उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से 90 से 95 प्रतिशत किसानों ने पूर्व निर्धारित मार्गो पर ही परेड निकाली और वे शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से आगे बढ़ते गए। दो चार प्रतिशत लोगों ने अनुशासनहीनता की है जिससे शांति भंग हुई है और आन्दोलन कमजोर हुआ।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का लाल किला परिसर में झंडा लगाने का कोई कार्यक्रम नहीं था। किसानों को गुमराह किया गया और उन्होंने गलत काम किया। इस संगठन की जानकारी प्रशासन को भी थी। उन्होंने हिंसा की घटनाओं की निन्दा करते हुए कहा कि इस सबके बावजूद किसानों का आन्दोलन जारी रहेगा।
एक अन्य किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान परेड के दौरान प्रशासन ने सहयोग नहीं किया और कुछ रास्तों को निर्धारित समय से अधिक तक बंद रखा गया जिससे किसान उत्तेजित हुए। बाद में किसानों के दबाव में रास्तों को खोला गया। उन्होंने इस घटना की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पुलिस के कुछ लोग किसानों को उकसा रहे हों।
किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर पिछले 62 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड आयोजित करने का आह्वान किया था और इसके लिए पूरे देश से किसानों को आमंत्रित किया गया था। ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा को लेकर समझौता हुआ था और गणतंत्र दिवस परेड के बाद किसान परेड निकालने पर सहमति हुई थी।
किसान संगठनों और सरकार के बीच समस्या के समाधान को लेकर ग्यारह दौर की बातचीत हो चुकी थी लेकिन इसमें कोई निर्णय नहीं हो सका था। उच्चतम न्यायालय ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक समिति का गठन किया था लेकिन किसान संगठनों से उससे अपने को अलग कर लिया था। समिति के एक सदस्य भूपिन्दर सिंह मान ने अपने को अलग कर लिया था।
किसान परेड के दौरान अनेक स्थानों पर किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों और किसानों को चोटें आई। इस दौरान कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुछ स्थानों पर आंसू गैस के गोले दागे।
ट्रैक्टर रैली : किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच जबरदस्त टकराव