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सोशल मीडिया हमारी फिटनेस खा रहा है : विराट कोहली
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सोशल मीडिया हमारी फिटनेस खा रहा है : विराट कोहली

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सोशल मीडिया हमारी फिटनेस खा रहा है : विराट कोहली
Virat Kohli's fitness tale: Indian captain reveals how he became one of
Virat Kohli’s fitness tale: Indian captain reveals how he became one of

नई दिल्ली। फिटनेस के लिए जुनूनी भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली का मानना है कि सोशल मीडिया ने जीवन में इस कदर घुसपैठ कर ली है कि वह हमारी फिटनेस को खा रहा है।

विराट ने स्पोर्ट्स वीयर ब्रांड प्यूमा के साथ किए गए एक राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण में यह बात कही है। इस सर्वेक्षण में एक चिंताजनक बात निकलकर सामने आई है कि पिछले एक साल में एक तिहाई भारतीयों ने एक बार भी शारीरिक गतिविधि नहीं की है। यहां शारीरिक गतिविधियों से तात्पर्य चलने, दौड़ने, जुम्बा, योग, तैराकी और क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबॉल, वालीबॉल, हॉकी, स्क्वैश तथा स्थानीय खेल जैसे कबड्डी और खोखो से है।

सर्वेक्षण के तथ्यों पर विराट ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह बात चौंकाने वाली है कि पिछले एक साल में देश के एक तिहाई लोगों ने किसी तरह की कोई शारीरिक गतिविधि नहीं की है। जब आप शारीरिक रूप से फिट होते हैं तो आपके अंदर चुनौतियों का सामना करने का उत्साह होता है। इस बात को मैंने खुद भी महसूस किया है। इसलिये मैं सक्रिय जीवनशैली जीने में यकीन रखता हूं।

तकनीक और सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल पर विराट ने चिंता व्यक्त की और कहा कि तकनीक और सोशल मीडिया को हमारे जीवन में स्वास्थ्य और फिटनेस पर प्राथमिकता मिल रही है। इस बात को बदले जाने की जरूरत है। खेलों को हमारे रोजाना के जीवन में आत्मसात किया जाना चाहिए। जब भी और कहीं पर भी मौका मिले हमें कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिये। मैं सभी से आग्रह करता हूूूूं कि वे बाहर निकलें और खेलें। इससे तनाव घटेगा और फिट रहने में मदद मिलेगी।

सर्वेक्षण में 57 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्होंने पिछले एक साल में कोई खेल नहीं खेला है जबकि 58 फीसदी का कहना है कि वे समय की कमी के कारण कोई खेल नहीं खेल पाते हैं। लेकिन सर्वक्षण से पता चला है कि यही लोग चार से पांच घंटे सोशल मीडिया, टीवी देखने, फोन पर, निजी बातचीत करने और मैसेज करने पर गुजारते हैं।

इस सर्वेक्षण में देश के 18 शहरों में पुरूष और महिला वर्ग में 18 से 40 वर्ष के 3924 लोगों से बातचीत की गई थी और फिर यह निष्कर्ष निकाला गया है।