Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Vishnu Puran ke anusaar Nirvastra hokar ye kaam nhi krne chahiye - Sabguru News
होम Religion विष्णु पुराण के अनुसार निर्वस्त्र होकर नहीं करने चाहिए ये काम

विष्णु पुराण के अनुसार निर्वस्त्र होकर नहीं करने चाहिए ये काम

0
विष्णु पुराण के अनुसार निर्वस्त्र होकर नहीं करने चाहिए ये काम
विष्णु पुराण
विष्णु पुराण

विष्णु पुराण | विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य के कल्याण के लिए नियम बनाए गए हैं। इनमें खान-पान से लेकर वस्त्र धारण करने तक के नियम शामिल हैं। पुराणों में बताया गया है कि कई काम ऐसे भी हैं जिनको वस्त्रपहनकर उन कामों को अपमानित करने जैसा है, मनुष्य पाप का भागीदार बनता है। तभी पूजा-अर्चना में बिना सिले दो ही वस्त्र धारण करने का विधान है।

चलिए जानते हैं ऐसे कुछ कामों के बारे में जिन्हें नग्न अवस्था में नहीं करना चाहिए विष्णु पुराण के बारहवें अध्याय में कहा गया है कि मनुष्य को पूरी तरह नग्न होकर स्नान कभी नहीं करना चाहिए। स्नान करते समय कम से कम एक कपड़ा आपके शरीर पर होना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने नहाते वक्त गोपियों के वस्त्र चुराकर यह संदेश देना चाहते थे कि मनुष्य को कभी भी बिना वस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए। इससे जल देवता का अपमान होता है। ग्रहों के सेनापति मंगल का वृष राशि में प्रवेश, जानें किसे मिलेगा लाभ किसे हानिपुराण के अनुसार कभी भी नग्न होकर सोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से चंद्र देवता का अपमान होता है।

साथ ही रात के समय पितृगण अपने परिजनों को देखने आते हैं और उन्हें नग्न अवस्था में देखकर काफी दुख होता है, वह बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं। बताया जाता है कि रात में नग्न अवस्था में सोने से नकारात्मक शक्तियां आप पर हावी हो जाती हैं।

मनुष्य को आचमन के दौरान नग्न अवस्था में नहीं रहना चाहिए, ऐसा करना विधि के खिलाफ माना जाता है। आचमन के दौरान आंतरिक शुद्धि होती है, इस प्रकार शुद्ध मन तथा हृदय से की गई पूजा हमेशा फलीभूत होती है। कोई गलत कार्य हो जाए तो उसके पश्चात आचमन द्वारा शुद्धि अवश्य की जानी चाहिए।

विदुर नीतिः इन 4 लोगों की सलाह पर काम करने वाले का नुकसान तय है कुछ लोग निर्वस्त्र होकर देवी-देवताओं की आरधना करते हैं लेकिन बिष्णु पुराण में इसको गलत बताया गया है। पूजा या यज्ञ के दौरान मनुष्य को दो बिना सिले हुए वस्त्र धारण करना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि सिलाई सांसारिक मोह-माया के बंधन का प्रतीक है। भगवान की पूजा हर बंधन से अलग होकर करनी चाहिए।