अजमेर। विश्व हिन्दू परिषद की महिला शाखा मातृशक्ति व दुर्गावाहिनी ने बुधवार को कलक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर केरल के अयप्पा भक्तों के खिलाफ केरल सरकार की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए हस्तक्षेप की मांग की।
संगठन का कहना था कि बीते कुछ साल से देखने में आया है कि हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर अपमानित और कलंकित करने का कुप्रयास किया जा रहा है। दक्षिण भारत का सुप्रसिद्ध अयप्पा मंदिर इसका ताजा उदाहरण है।
कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी आधुनिकता के नाम पर इस प्रकार के विवाद जानबूझकर खडे किए जाते हैं और हिन्दू परंपराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर बदनाम किया जाता है।
सबरीमला मंदिर में 1950 में ईसाईयों द्वारा आग लगाई गई और विग्रह भंग किया गया। 1982 में मंदिर की जमीन पर क्रॉस गाडा गया और अभी हजारों मुस्लिम दीवार बनाकर मंदिर की पवित्रता को भंग करने की स्थानयी समाज की इच्छा को नजरअंदाज कर प्रदर्शन करती हैं।
ये सब मंदिर के प्रति व्यापक षडयंत्रों को दर्शाता है। न्यायपालिका की आड में केरल सरकार ने अयप्पा भक्तों पर दमन चक्र चला रखा है जिसके कारण पांच भक्तों को जान से हाथ धोना पडा और हजारों की गिरफ्तारी हुई। ऐसी घडी में देश का संपूर्ण हिन्दू समाज अयप्पा भक्तों के साथ खडा है।
ज्ञापन के जरिए राष्ट्रपति महोदय से आग्रह किया गया है कि केरल सरकार अयप्पा भक्तों की भावनाओं का सम्मान करे और उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर नहीं करे। सर्वोच्च न्यायालय भी अयप्पा भक्तों की भावनाओं पर पुनर्विचार करे।
ज्ञापन देने वालों में दुर्गावाहिनी की प्रांत संयोजिका अलका गौड, महानगर संयोजिका नीना शर्मा, क्षेत्रीय संयोजिका अभिलाषा यादव, सीमा गोस्वामी, पिंकी महावर, नीना भारद्वाज, दुर्गा पाराशर, इंदु राठी, अरुणा गुप्ता, गायत्री सोनी, प्रमिला चतुर्वेदी समेत बडी संख्या में हिन्दूवादी संगठन की कार्यकर्ता शामिल रहीं