फ्रैंकफर्ट। डीजल कारों में उर्त्सजन संबंधी धोखाधड़ी करने के विवादों में फंसी जर्मनी की अग्रणी वाहन निर्माण कंपनी फॉक्सवैगन पर नया आरोप लगा है कि उसने ऑडी, पोर्श और फॉक्सवैगन की कुछ पेट्रोल कारों में भी उत्सर्जन के नियमों के साथ छेड़छाड़ की।
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के इंजीनियरों ने डीजलगेट के नाम से चर्चित इस घोटाले की जांच के दौरान जांचकर्ताओं को यह जानकारी दी। कंपनी ने मामले की जांच जारी रहने का हवाला देते हुए इस विषय में टिप्पणी से इनकार कर दिया है। कंपनी ने गियरबॉक्स और सॉफ्टवेयर में ऐसी छेड़छाड़ की कि वाहन कार्बन उर्त्सजन और ईंधन खपत का स्तर कम बताने लगे।
अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो फॉक्सवैगन की मुसीबतें अधिक बढ़ सकती हैं। यूरोप में कार्बन उर्त्सजन के स्तर के आधार पर वाहनों पर कर लगाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि फॉक्सवैगन ने सितंबर 2015 में पहली बार यह स्वीकार किया था कि उसने वर्ष 2008 से 2015 के बीच दुनिया भर में बेची गयी अपनी एक करोड़ 11 लाख गाड़ियों में डिफीट डिवाइस लगाया था। यह डिवाइस इस तरह से डिजाइन किया था कि लैब में परीक्षण के दौरान ये उन प्रभावित कारों को भी पर्यावरण के मानकों पर खरा साबित कर देते थे जबकि वास्तक में इन कारों से नाइट्रिक ऑक्साइड नामक प्रदूषित गैस का उर्त्सजन होता था।
यह उर्त्सजन यूरोपीय मानकों से चार गुणा अधिक था। फॉक्सवैगन को इस घोटाले के कारण अब तक अरबों रुपए का जुर्माना देना पड़ा है और इसके कुछ शीर्ष अधिकारियों को जेल की भी हवा खानी पड़ी है।