ढाका। बांग्लादेश में हिंसा की विभिन्न घटनाओं के बीच देश के 11वें आम चुनाव के लिए रविवार को मतदान समाप्त हो गया। चुनावी हिंसा में कम से कम 17 लोगों की मौत हुई है।
पुलिस मुख्यालय ने प्रारंभिक सूचनाओं के आधार पर पूरे देश में चुनावी हिंसा की घटनाओं में 17 लोग मारे गए हैं। सहायक पुलिस महानिरीक्षक (मीडिया) सोहेल राना ने बताया कि हिंसक घटनाओं में मारे गये लोगों में अवामी लीग के सात, बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी(बीएनपी) के पांच, जतिया पार्टी का एक कार्यकर्ता समेत एक हॉकर और तीन अन्य शामिल हैं।
दूसरी तरफ अवामी लीग ने 18 लोगों के मारे जाने का दावा किया है। इस बीच मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने देश में फिर से चुनाव कराये जाने की मांग की।
इससे पहले सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ और शाम चार बजे समाप्त हो गया। बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदान किया। सुबह ठंड के कारण लोग घरों से कम निकले लेकिन दिन निकलने के साथ ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या में इजाफा होता गया।
प्रधानमंत्री शेख हसीना तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। हसीना की अवामी लीग नीत महागठबंधन और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बंगलादेश नेशनल पार्टी और उनके सहयोगी दलों के बीच मुख्य मुकाबला है। बीएनपी ने वर्ष 2014 के आम चुनाव का बहिष्कार किया था।
हसीना ने राजधानी ढाका सिटी कॉलेज स्थित मतदान केन्द्र में सबसे पहले वोट डाला। उनके रिश्तेदार एवं पार्टी सांसद फजले नूर तापस इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उदारवादी बलों को जीत दिलाने के लिए लोग आवामी लीग के पक्ष में मतदान करेंगे।
बीएनपी के प्रवक्ता रिजवी अहमद ने आरोप लगाया कि मतदान के दौरान सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता हिंसक गतिविधियों में सक्रिय रहने के साथ ही मतदान एजेंटो को बूथ से बाहर निकालने तथा कई मतदान केंद्रो पर कब्जा कर लिया।
रिजवी ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार एकतरफा चुनाव के जरिए चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। जिया की पार्टी बीएनपी ने गत अक्टूबर में कमाल हुसैन की अगुवाई वाली नेशनल यूनिटी फ्रंट के साथ गठबंधन किया था। हुसैन पूर्व में अवामी लीग के निष्ठावान समर्थक थे, लेकिन 1990 में उन्होंने अवामी लीग छोड़ दी और दो साल बाद 1992 में अपनी नई पार्टी ‘गोनो फोरम’ की स्थापना की थी।
चुनाव आयोग के मुताबिक 300 संसदीय सीटों में से 299 सीटों पर 1861 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनमें से 1733 विभिन्न राजनीतिक दलाें से जबकि 128 निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के लिए 40183 मतदान केंद्र बनाये गये। देश में कुल 10,42,38,677 मतदाता हैं जिनमें से 5,25,72,365 पुरुष और 5,16,66,312 महिलाएं हैं। देश में पहली बार छह संसदीय सीटों के सभी मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के जरिये मतदान कराया गया।
हजारों सैनिकों और अर्द्धसैनिकों सहित छह लाख सुरक्षाकर्मियों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए तैनात किया गया। प्रवर्तन एजेंसियों के 6,08,000 सदस्यों और 66 निर्वाचन अधिकारियों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई।