जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस में अभी असमंजस बना हुआ है तथा भारतीय जनता पार्टी में भी नौ सीटों को लेकर आमराय नहीं बन पाई है।
भाजपा ने 25 में से 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जबकि कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार सामने नहीं आया है। भाजपा में नौ सीटों में नागौर, भरतपुर, दौसा, बाड़मेर, अलवर, टोंक, सवाई माधोपुर, बांसवाड़ा और राजसमंद में उम्मीदवारों को लेकर दो राय बनी हुई है।
नागौर में केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी तथा बाड़मेर से सांसद कर्नल सोनाराम, भरतपुर से बहादुर सिंह कोली, टोंक सवाई माधोपुर से सुखबीर सिंह जौनपुरिया, बांसवाड़ा से मानशंकर निनामा को लेकर कार्यकर्ताओं में विरोध है। बाड़मेर में सांसद कर्नल सोनाराम ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इससे पहले कर्नल सोनाराम कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में आए थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का टिकट काटकर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया था। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री के पुत्र मानवेंद्र सिंह भी भाजपा के विधायक होते हुए पार्टी में लड़ाई लड़ते रहे और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस अब उन्हें बाड़मेर से चुनाव लड़ाना चाहती है।
भरतपुर में भाजपा कोली समाज के लोगों को ही लोकसभा चुनाव में उतारती रही है, लेकिन इस बार सांसद बहादुर सिंह कोली के प्रति बढ़ती नाराजगी के कारण उन्हें शायद ही टिकट मिल पाए।
भाजपा को नया उम्मीदवार तलाश करने में परेशानी आ रही है। कांग्रेस यहां से जाटव समाज के लोगों को टिकट देती है, लेकिन इस बार पार्टी में भी सही उम्मीदवार तलाशना मुश्किल हो रहा है। किसी प्रशासनिक अधिकारी को मौका देने की भी कांग्रेस में चर्चा है।
राजसमंद में सांसद हरिओम राठौड़ के दुबारा चुनाव मैदान में नहीं उतरने की घोषणा के बाद भाजपा की पूर्व विधायक दीया कुमारी तथा विधायक किरण माहेश्वरी की दावेदारी पर फैसला अभी नहीं हो पाया है।
अलवर में सांसद चांदनाथ की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की हार से यह सीट भी मुश्किल में पड़ गई है। उपचुनाव जीतने वाले करण सिंह के स्थान पर कांग्रेस पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह को चुनाव लड़ाएगी जिनके सामने बाबा चांदनाथ के उत्तराधिकारी बाबा बालकनाथ का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है।
दौसा में सांसद हरीश मीणा के पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल होने तथा विधायक निवाचित होने के बाद भाजपा में इस सीट पर उम्मीदवार की तलाश मुश्किल हो रही है। भाजपा के लिए विद्रोही बने डॉ किरोड़ी लाल मीणा की घर वापसी भी विधानसभा चुनाव में फायदा नहीं पहुंचा पाई तथा पार्टी डॉ मीणा के विरोधी पूर्व विधायक ओम प्रकाश हुडला की पत्नी पर दांव खेलने का विचार कर रही है। भाजपा नेता इन नौ सीटों का पैनल बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने दिल्ली गए हुए हैं तथा एक दो दिन में इस पर फैसला हो सकता है।
कांग्रेस में विधायक एवं मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारने को लेकर दो राय बनी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों पर दांव खेलना चाहती हैं ताकि विधायक मंत्रियों के चुनाव जीतने के बाद सरकार पर बहुमत का खतरा नहीं आए।
जयपुर शहर से पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी तथा ग्रामीण से मंत्री लालचंद कटारिया को मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। कांग्रेस पार्टी जोधपुर से मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत को उम्मीदवार बना सकती है। अन्य सीटों पर भी उम्मीदवारों को लेकर दो तीन नाम चल रहे हैं लेकिन इन पर फैसला कल राहुल गांधी के जयपुर, बूंदी तथा सूरतगढ़ रैली के बाद किया जा सकता है।