जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने वायरल हुए केंद्रीय मंत्री की विधायकों के कथित लेनदेन की बातचीत के ऑडियो को फर्जी बताते हुए कहा कि यह भाजपा नेताओं की मानहानि करने का प्रयास है।
डा पूनिया ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जिस ऑडियो का जिक्र किया है वह हास्यास्पद है। इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। वह एसओजी के पुलिस महानिदेशक की तरह मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी की बात कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए ऑडियो की वैधता क्या है। क्या इस ऑडियो की जांच हुई है। एक व्यक्ति ने इसे वायरल किया, वह व्यक्ति कौन है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आपसी लड़ाई में भाजपा पर दोषारोपण किया जा रहा है। राज्यसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा पर आरोप लगाए गए थे, अगर आरोप सही थे तब मामले की जांच क्यों नहीं कराई गई। डा पूनियां कहा कि कांग्रेस आपसी झगड़े में भाजपा नेताओं की मानहानि का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अंग्रेजों के समय बनाए गए कानून धारा 124ए का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस ने खुद इस कानून को समाप्त करने की मांग की थी।
डा पूनियां ने कांग्रेस पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दो लोगों को एसओजी ने पकड़ा है उनका भाजपा से किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है। भाजपा नेताओं को बदनाम करने के लिए उन्हें प्रायाेजित किया गया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने आंतरिक झगड़े को भाजपा पर थोपने का प्रयत्न कर रही है। वह भाजपा के वरिष्ठ नेता गजेंद्रसिंह शेखावत की मानहानि का काम कर ही है। किसी की बातचीत टेप करने के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है, ऐसे ही किसी की बातचीत टेप नहीं की जा सकती। जन प्रतिनिधियों की बातचीत टेप करना निषिद्ध है। लिहाजा यह ऑडियाे प्रायोजित है। इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है।
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर यह ऑडियो सत्य है तो इसे प्रमाणित करके दण्डित करें। कटारिया ने कहा कि उस ऑडियो का मिलान करें, लोकतंत्र की गरिमा गिराने वाले काम न करें। ऐसे कोई भी व्यक्ति किसी के नाम से बातचीत करके किसी को भी बदनाम कर सकता है।
एक सवाल के जवाब में कटारिया ने कहा कि बसपा के विधायकों का कांग्रेस में विलय की शिकायत करते हुए याचिका विधानसभाध्यक्ष के समक्ष पेश की गई जिस पर अब तक कोई निर्णय किया गया है, इससे पहले भी गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी बसपा के विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, उसका भी विधानसभा का पूरा कार्यकाल बीत जाने के बाद भी कोई निर्णय नहीं किया गया।
पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि इस ऑडियो की जांच होनी चाहिए। बिना अनुमति के किसी की भी बातचीत टेप नहीं की जा सकती। जनप्रतिनिधियों की बातचीत टेप करना उन पर निजी हमला है। यह राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ है। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। ऐसे ऑडियो को उच्चतम न्यायालय ने भी साक्ष्य नहीं माना है। इस मामले की सीबीआई से जांच होनी चाहिए।