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ऑक्सीजन की कमी पर सरकार के रवैए से चकित दिल्ली हाई कोर्ट - Sabguru News
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ऑक्सीजन की कमी पर सरकार के रवैए से चकित दिल्ली हाई कोर्ट

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ऑक्सीजन की कमी पर सरकार के रवैए से चकित दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह औद्योगिक उद्देश्य के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत रोके।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा- सरकार वास्तविकता को लेकर जाग क्यों नहीं रही है, हम चकित हैं। न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया है कि प्रोडक्शन प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए सेफ़ पैसेज दिया जाए।

अदालत ने ऐसे कई उद्योगों ख़ासकर स्टील इंडस्ट्री को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन का उत्पादन करके इसे अस्पतालों के लिए उपलब्ध कराएं। अदालत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के एक प्लांट से मैक्स पटपड़गंज अस्पताल के लिए 2000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन दो-तीन घंटे में पहुंच जाएगा।

मैक्स अस्पताल ने एक बयान जारी कर यह भी बताया है कि दिल्ली-एनसीआर में उनके किन अस्पतालों में ऑक्सीजन की मौजूदा स्थिति क्या है। अस्पताल का दावा है कि उसके कई अस्पतालों में कुछ ही घंटे का ऑक्सीजन बचा हुआ है।

अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली कंपनी आईनॉक्स को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। अदालत ने 19 अप्रैल को आईनॉक्स से तत्काल प्रभाव से दिल्ली सरकार से हुए समझौते के तहत 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति बहाल करने के आदेश दिए थे।

अब दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि कंपनी ने ऑक्सीजन आपूर्ति बहाल करने के आदेश का पालन नहीं किया है और इस वजह से अस्पतालों में कोरोना से पीड़त मरीजों के लिए ऑक्सीजन की काफी कमी हो गई है।

मेहरा ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों कोरोना पीड़ित मरीजों की जान खतरे में है। मेहरा ने बेंच को बताया कि यदि कंपनी समय रहते ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू नहीं करती है तो न सिर्फ सैकड़ों मरीजों की जान जा सकती है बल्कि इससे राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है।

सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली आईनॉक्स को उत्तर प्रदेश से दिल्ली तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी है क्योंकि ऑक्सीजन बनाने की इकाई उत्तर प्रदेश में ही है। दिल्ली सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह काफी संगीन मामला है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

युगल पीठ ने कंपनी को मामले में 22 अप्रैल यानी गुरुवार को पक्ष रखने का निर्देश दिया है। साथ ही कंपनी को ई-मेल के जरिए नोटिस भेजा है। अदालत ने आईनॉक्स के प्रबंध निदेशक को मामले की सुनवाई के दौरान निजी रूप से पेश होने को कहा है। साथ ही, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा गया है।