नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में कोविड-19 महामारी के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए शुक्रवार को टल गई साथ ही, न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया।
साल्वे ने मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ से आग्रह किया कि न्याय मित्र की जिम्मेदारी से उन्हें मुक्त कर दें।
साल्वे का यह कदम कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा उनकी आलोचना किए जाने के बाद आया है। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि यह मामला इस आरोप के साये में सुना जाए कि मुख्य न्यायाधीश के साथ दोस्ती होने के नाते ही मेरी नियुक्ति न्याय मित्र के तौर पर हुई है।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के प्रकाशित बयानों को लेकर न्यायमूर्ति बोबडे ने भी नाराजगी जताई। इन अधिवक्ताओं ने साल्वे को न्याय मित्र बनाए जाने की आलोचना की थी।
खंडपीठ ने कहा कि साल्वे को न्याय मित्र की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाता है और मामले की आज की सुनवाई बंद की जाती है। अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि उसका इरादा उच्च न्यायालयों से मामले वापस लेना नहीं है, इसलिए आलोचना की आवश्यकता नहीं थी।
न्यायमूर्ति बोबडे ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन कहा कि हम वरिष्ठ अधिवक्ताओं के बयान पढ़कर खुश नहीं हैं, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना दृष्टिकोण होता है।
गौरतलब है कि न्यायालय ने कल सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने कोरोना महामारी के भीषण संक्रमण के मद्देनजर ऑक्सीजन और दवा की आपूर्ति, टीकाकरण नीति और लॉकडाउन लगाने के राज्य सरकारों के अधिकारों के मामले का स्वत: संज्ञान लिया है।