कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तार किए गए मंत्री पार्थ चटर्जी की तबीयत बिगड़ गई है। उसके बाद अदालत के आदेश से उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी की बैंकशॉल कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की। पार्थ चटर्जी के वकीलों ने उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में चिकित्सा की अनुमति देने की सिफारिश की। उसके बाद उन्हें एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद कोर्ट ने अर्पिता मुखर्जी को दो दिनों की ईडी हिरासत का निर्देश दिया है। पार्थ चटर्जी ने पूछताछ के दौरान शिकायत की थी कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। जोका के ईएसआई अस्पताल में उनकी चिकित्सा की जांच भी हुई थी।
ईडी ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाले में बंगाल के वरिष्ठ मंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्थ चटर्जी घोटाले से कथित तौर पर जुड़े होने के आरोप में आज उनके दक्षिण कोलकाता स्थित आवास से गिरफ्तार किया।
उल्लेखनीय है कि जब प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के गैर-शिक्षण और शिक्षण कर्मचारियों के पदों पर विवादास्पद भर्तियां की गई थीं, उस समय चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे।
ईडी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कोलकाता के नकटला इलाके में चटर्जी के घर पर 27 घंटे की लंबी छापेमारी के दौरान वह इस संबंध में संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। सूत्रों ने बताया कि चटर्जी से उनकी एक करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी को लेकर भी सवाल पूछे, जिसका भी वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। ईडी ने अर्पिता मुखर्जी को भी हिरासत में ले लिया है। इससे पहले ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के घर से 21 करोड़ रुपए नकद बरामद किए थे।
वर्ष 2006 से 2011 तक राज्य में विपक्ष के नेता रहे एवं पांच बार के विधायक चटर्जी ने कोलकाता के बाहरी इलाके में स्थित अस्पताल के बाहर कार से उतरने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। इससे पहले करीब 10 बजे गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को केंद्रीय बलों के साथ एक काफिले के साथ ले जाया गया।
ईडी ने वाणिज्य, उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी के आवास और राज्य के विभिन्न हिस्सों में उनके करीबी सहयोगियों तथा रिश्तेदारों के ठिकानों पर शुक्रवार सुबह छापेमारी शुरू हुई थी। ईडी के कम से कम नौ अधिकारियों ने घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच के तहत चटर्जी के घर पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान चटर्जी के वकील भी उनके आवास पर मौजूद थे।
ईडी ने शुक्रवार को राज्य के विभिन्न हिस्सों में पार्थ चटर्जी के कई सहयोगियों और उनके दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य सहित उनके करीबी रिश्तेदारों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।
ईडी के अधिकारियों ने उत्तर बंगाल में कूचबिहार जिले के मेखलीगंज में शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी के आवास पर भी तलाशी अभियान चलाया। इसके अलावा ईडी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य, पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष के आवास और कई मौजूदा तथा पूर्व अधिकारियों के परिसरों पर घोटाले से उनके कथित संबंधों को लेकर छापे मारे।
ईडी के अनुसार अर्पिता मुखर्जी के पास से 20 मोबाइल फोन भी बरामद किए, जिसका उद्देश्य और उपयोग पता लगाया जा रहा है। ईडी ने शुक्रवार रात मीडिया को बताया कि कैश काउंटिंग मशीन के जरिए बरामद रुपयों की गिनती के लिए सर्च टीम बैंक अधिकारियों की मदद ले रही है।
ईडी ने कहा कि इसके अलावा घोटाले से जुड़े व्यक्तियों के विभिन्न परिसरों से कई अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज, रिकॉर्ड, संदिग्ध कंपनियों का विवरण, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, विदेशी मुद्रा और सोना भी बरामद किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अप्रैल में कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए समूह सी और डी कर्मचारियों, नौवीं-बारहवीं कक्षा के सहायक शिक्षकों और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया था। ईडी ने कहा कि ईडी गैर-शिक्षण कर्मचारियों (ग्रुप सी एंड डी), कक्षा नौ से 12 के सहायक शिक्षकों और प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की अवैध नियुक्ति से जुड़े मामलों की धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत जांच कर रही है।
इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) चटर्जी और अधिकारी से पूछताछ कर चुकी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार योग्यता सूची की अनदेखी करके रोजगार हासिल करने को लेकर अधिकारी की पुत्री को स्कूल शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही, उन्हें अपनी नौकरी से प्राप्त पूरा वेतन वापस करने के लिए कहा गया था और उसे स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था।
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