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विपक्ष घुसपैठ को लेकर अपना रुख साफ करे : अमित शाह
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विपक्ष घुसपैठ को लेकर अपना रुख साफ करे : अमित शाह

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विपक्ष घुसपैठ को लेकर अपना रुख साफ करे : अमित शाह
What About Rights of Indians, Amit Shah Asks Oppn on Assam NRC
What About Rights of Indians, Amit Shah Asks Oppn on Assam NRC

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि विपक्ष घुसपैठियों के वोटों के लालच में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता तथा असम के लोगों के मानवाधिकारों को छीने जाने का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को चुनौती दी कि वे घुसपैठ पर अपना रुख साफ करें।

शाह ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि असम में एनआरसी को अद्यतन किए जाने का काम कांग्रेस ने शुरू किया था। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसके मूल में एनआरसी को अद्यतन करना था। कांग्रेस ने माना था कि एनआरसी देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि एनआरसी की शुरूआत कांग्रेस ने की थी लेकिन उनमें साहस नहीं बचा कि वे बंगलादेशी घुसपैठियों की पहचान कर सकें और स्वीकार कर सकें कि घुसपैठ देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। कांग्रेस ने 2005 में शुरुआत करके वोटों के लालच में इस काम को छोड़ दिया।

इसके बाद ही उच्चतम न्यायालय में याचिका डाली गयी और उच्चतम न्यायालय ने एक समयसीमा तय करके एनआरसी अद्यतन करने का पूरा कार्यक्रम बना कर दिया। इस कार्यक्रम को भाजपा की सरकार ने क्रियान्वित किया है।

उन्होंने कहा कि दो दिन से पूरे देश में एनआरसी पर बहस हो रही है। सारे नेताओं के बयान और अखबारों की सुर्खियां देखें तो पता चलता है कि चर्चा इस बात की है कि 40 लाख भारतीय नागरिकों अलग घोषित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि किसी भी दल ने नहीं कहा कि यह एनआरसी का मसौदा अंतिम नहीं है। किसी ने सवाल नहीं किया कि ये लोग कहां से आ गए। भाजपा अध्यक्ष ने आराेप लगाया कि विपक्ष गृहयुद्ध का भय दिखा कर घुसपैठियों को बचाना चाहता है। उन्होंने कहा कि गृह युद्ध का भय फैला कर एक बार देश को तोड़ चुके हैं। अब क्या कहना चाहते हैं?

उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी से पूछना चाहते हैं कि घुसपैठ को लेकर उनका क्या रुख है। उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में नहीं थी तब भी मानती थी कि घुसपैठियों के कारण देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और आज भी उसी रुख पर कायम है।

उन्होंने कहा कि जिनके नाम एनआरसी में नहीं हैं, वे भारतीय नागरिक नहीं हैं। रजिस्टर से भारतीय नागरिकों के नाम कटे हैं, यह गुमराह करने वाली बात है। एनआरसी में केवल उन्हीं लोगों के नाम नहीं हैं जो यह साबित नहीं कर पाए कि वे भारतीय हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि एनआरसी का पूरा काम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उसके द्वारा तय कार्यबिन्दुओं के अनुरूप चल रहा है।

उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि केवल बीजू जनता दल को छोड़ कर कोई पार्टी यह नहीं कह पाई कि घुसपैठियों का कोई अधिकार नहीं होता है। उन्होंनेे कहा कि असम के लाेगों के संसाधनों पर घुसपैठियों का कोई अधिकार नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह असम के लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

शाह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि असम में रहने वाले भारत के किसी भी प्रदेश या क्षेत्र के नागरिक का नाम एनआरसी से बाहर नहीं किया जाएगा। अन्य राज्यों के लोगों के नाम नहीं काटे जा सकते हैं। यह संभव ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल पूरी प्रक्रिया को लेकर देश को गुमराह कर रहे हैं। तमाम प्रकार की भ्रांति फैला कर राज्यों में झगड़े कराने का प्रयास किया जा रहा है।

असम के चाय बगानों में काम करने वाले बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के मज़दूरों के बारे में पूछे जाने पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों को उन जिलों के लोगों की सूची भेजी गई हैं। जिलाधिकारी उसका सत्यापन करके भेजेंगे। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मजदूरों से कहा गया है कि वे जहां से आए हैं, वहीं का कोई प्रमाण दे दें।

इसी प्रकार से शरणार्थियों और घुसपैठियों के बारे में एक सवाल के जवाब में श्री शाह ने कहा कि दोनों की परिभाषा एकदम स्पष्ट हैं। जो लोग विदेशों से जान बचा कर अपनी संस्कृति, सभ्यता या अस्तित्व की रक्षा करने के उद्देश्य से आये हैं। वे शरणार्थी हैं।

जबकि रोज़गार के लिए अवैध रूप से देश में आने वालों को घुसपैठिया कहा जाता है। यह पूछे जाने पर कि रोहिंग्या भी शरणार्थी हैं, शाह ने कहा कि हम नहीं मानते कि रोहिंग्या शरणार्थी हैं। वे देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है।

शाह ने कहा कि भाजपा का दृढ़ मत है कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ‘अर्द्ध विराम, पूर्ण विराम’ के साथ अक्षरश: लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में एनआरसी को लेकर चर्चा हो रही है। उसमें सभी दलों ने अपने अपने विचार रखे हैं लेकिन उनके बोलना शुरू करते ही हंगामा शुरू कर दिया गया और बोलने नहीं दिया गया। यह सदन की गरिमा के विरुद्ध है। इस कारण वह मीडिया के माध्यम से अपनी बात देश के सामने रखने आए हैं।