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सही रणनीति से सिविल सर्विस परीक्षा में पाएं सफलता
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सही रणनीति से सिविल सर्विस परीक्षा में पाएं सफलता

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सही रणनीति से सिविल सर्विस परीक्षा में पाएं सफलता
Civil Service Examination Preparation Strategy
Civil Service Examination Preparation Strategy
Civil Service Examination Preparation Strategy

सबगुरु न्यूज। देश की शीर्ष संघ लोक सेवा या यूनियन सिविल सर्विस में सफल करिअर बनाने का ज्यादातर युवाओं का सपना होता है लेकिन गिने-चुने युवा ही अपनी अथक मेहनत और प्रतिभा के बल पर इनमें स्थान बना पाते हैं।

संघ लोक सेवा सेवा आयोग(यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली अखिल भारतीय स्तर की चयन परीक्षा के आधार पर प्रति वर्ष लगभग 1000 पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं। इन शाखाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा(आईएफएस), भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) सहित लगभग अन्य शीर्ष सेवाओं का उल्लेख किया जा सकता है।

पिछले वर्ष(2017) की इस परीक्षा के आंकड़ों पर गौर करें तो कुल 4.56 लाख प्रत्याशियों ने इसके लिये आवेदन भरा था। इनमें से 13366 प्रत्याशी प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिए योग्य घोषित किये गए। मुख्य परीक्षा के जरिये 2568 प्रत्याशियों को व्यक्तित्व परीक्षा के लिए चुना गया। उनमें से मात्र 990 प्रत्याशी अन्तिम रूप से सफल हुए। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सफल होने वाले युवाओं को कितनी गहन प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है।

सिविल सेवा परीक्षा का स्वरूप:- यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है। प्रथम चरण है प्रीलिम्स या प्रारंभिक परीक्षा जो जून माह में हाेती है। इस स्तर पर 200-200 अंकों के केवल दो प्रश्न पत्र होते हैं जो ऑब्जेक्टिव टाइप के होते हैं। पहला प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन पर आधारित होता है और इसमें देश-विदेश से सम्बंधित करंट अफेयर्स, भारत का इतिहास, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भूगोल, सरकारी नीतियों, सामाजिक एवं आर्थिक महत्त्व के विषयों, सामान्य विज्ञान आदि से जुड़े प्रश्न होते हैं।

दूसरे प्रश्नपत्र में भाषा, संचार योग्यता, तार्किक एवं विश्लेष्णात्मक क्षमता ,प्रारंभिक अंकगणित आदि पर आधिरित प्रश्नों को शामिल किया जाता है। दोनों प्रश्न पत्रों की अवधि दो-दो घंटे की होती है। दूसरा प्रश्नपत्र क्वालिफाइंग प्रकार का होता है और इसमें कम से कम 33% अंक लाने आवश्यक होते हैं।

मुख्य परीक्षा :- प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने वाले प्रत्याशिओं को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। यह परीक्षा अक्टूबर माह में होती है। इसमें पहले 300-300 अंकों के दो पेपर्स क्रमशः किसी एक भारतीय भाषा और अंग्रेजी पर आधारित होते हैं। इन प्रश्नपत्रों के अंकों को मेरिट सूची तैयार करते हुए शामिल नहीं किया जाता है। इनके अलावा सात प्रश्नपत्र होते हैं। इनमें से प्रत्येक 250 अंक का होता है। इस प्रकार कुल 1750 अंकों के ये पेपर्स होते हैं। पेपर्स के विषयों और उनके सिलेबस के बारे में विस्तृत जानकारी यूपीएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

पर्सनेलिटी टेस्ट :- यह कुल 275 अंकों का होता है। इसमें साक्षात्कार के अलावा प्रत्याशी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।

कैसे करें तैयारी :- इस परीक्षा के महत्त्व और निहित गहन स्पर्धा को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि कम से कम दो तीन वर्षों का समय इस की तैयारी पर लगाना ज़रूरी है। समय रहते समस्त प्रश्न पत्र और उनके सिलेबस को समझ कर नियमित रूप से पूरे अनुशासन के साथ पढ़ाई करनी चाहिए। रोजाना ही नहीं महीने और सम्पूर्ण वर्ष के आधार पर टाइम टेबल बनाकर उसपर अमल करने का भरसक प्रयास करना चाहिए।

एन सी ई आर टी की टेक्स्ट बुक्स से विभिन्न विषयों की शुरुआत की जा सकती है। गत वर्षों के प्रश्नपत्रों से परीक्षा के पैटर्न और प्रश्नों के स्वरूप को समझने का प्रयास करना चाहिए। सामान्य ज्ञान के प्रश्नपत्र की तैयारी के लिए कम से कम दो अच्छी पुस्तकों को आधार बनाना चाहिए। यही नहीं करंट अफेयर्स से जुड़े मुद्दों को समझने और उनके बारे में जानने के लिए अख़बार और पत्रिकाएँ पढने की आदत डाल लेनी चाहिए।

टेलिविज़न समाचार देखना भी इस क्रम में मददगार सिद्ध हो सकता है। अगर घर पर इतनी पाठ्य सामग्री उपलब्ध होने में परेशानी हो तो पास के पुस्तकालय का लाभ उठाया जा सकता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अब तो अनेक प्रकार की पत्रिकाएं बाजार में उपलब्ध हैं। कोचिंग संस्थानों का सहारा लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन ऐसे संस्थान का ही चयन करें जिनके गत वर्षों में बेहतर परिणाम आ रहे हों।

रणनीति :- भरसक प्रयास करें कि पढ़ाई लिखकर नोट्स बनाते हुए की जाये। महज़ पढने से अधिकाँश बातें बहुत अधिक समय तक याद नहीं रखी जा सकती हैं। हो सके तो किसी सफल प्रत्याशी से व्यावहारिक समस्याओं को जाने और अधिक से अधिक अंक जुटाने की सलाह लें।

विषयों का चयन करने में अपनी दिलचस्पी और विषय के सिलेबस को अवश्य ध्यान में रखें। कही-सुनी बातों के आधार पर ऐसे निर्णय लेने से बचें। गत वर्षों के प्रश्नपत्रों को निर्धारित समय सीमा में रहकर हल करने की ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। अपनी गलतियों और कमजोरियों को पहचानें और उन्हें दूर करने का पूरा प्रयत्न करें। सोशल मीडिया और ऐसे अन्य भटकाव के माध्यमों से जितना दूर रह सकें उतना अच्छा रहेगा।

गुरुमंत्र :- इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए अपने अन्दर जुनून पैदा करना सबसे ज़रूरी शर्त है। चौबीस घंटे उठते -बैठते, सोते -जागते आपकी सोच सिर्फ और सिर्फ एक ही दिशा में होनी चाहिए। कुछ समय के लिए दुनियादारी, दोस्ती-यारी और समय बर्बाद करने वाली आदतों को भूल जाना ही एकमात्र विकल्प है। अगर पहले प्रयास में सफल नहीं हो सकें तो हताश नहीं हों, दोबारा दोगुने जोश के साथ तैयारी करें और इस बार अपनी पिछली गलतियों से सीख लेते हुए रणनीति बनाएं।