कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) फंडिंग और ग्रांट प्रक्रिया है, जिसके तहत नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NGO) कॉर्पोरेट सेक्टर से वित्तीय और अन्य सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनियों के औसत शुद्ध लाभ में 2 प्रतिशत का योगदान प्रदान करना एक अनिवार्य प्रावधान है। CSR को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 की उप-धारा 1 के अनुसार आवश्यक और लागू किया जाता है।
इसके अनुसार, जिन कम्पनियाों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको CSR पर खर्च करना जरूरी होता है। यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए। कंपनी के पास बोर्ड की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कमेटी भी है। CSR के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं.
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व को समझने और लागू करने के लिए भारत सरकार और गृह मंत्रालय की नीति, अधिनियम, नियम, संशोधन, अधिसूचना और दिशानिर्देश इस प्रकार हैं –
(कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 के 18) की धारा 469 की धारा 135 और उप-वर्गों (1) और (2) के तहत प्रदान की गई शक्तियों के अभ्यास में, केंद्र सरकार यहां कंपनियों को संशोधित करने के लिए नियम बनाती है (कॉर्पोरेट) सामाजिक उत्तरदायित्व नीति) नियम, 2014,)