आचार संहिता का अर्थ और की पूरी जानकारी : नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं आचार संहिता के बारे में जिसके चलते हैं आपको यह पता चलेगा क्या हे राजा संहिता में होता क्या है और आखिर आचार संहिता में नेताओं का राज क्यों नहीं रहता कई लोग इस बात को जानते भी हैं और कहीं लोग नहीं भी लेकिन आचार संहिता एक ऐसी स्थिति होती हैं जिसमें नेताओं की ताकत आदि भी नहीं रह जाती चाहे वह मंत्री हो चाहे वह सांसदों या अन्य आखिर ऐसा क्यों होता है और इससे बड़े रूप में कौन से बड़े हैं ऐसे नेता है जो प्रभावित हुए हैं आपको आज केस आर्टिकल में मिलेगा।
आखिर क्या होती है आचार संहिता
आचार संहिता एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें चुनाव लड़ने तक नेताओं की किसी प्रकार की भूमिका नहीं रहती अगर वह किसी प्रकार से आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही भी की जा सकती है और इसके चलते हैं ऐसे नेताओं को जेल भी हो सकती हैं।
आचार संहिता के सामान्य कानून
- कोई भी दल ऐसा काम नहीं कर सकता जिससे किसी प्रकार के धार्मिक घृणा पैदा हो यदि वह ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
- कोई भी दल किसी की भी जमीन बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं कर सकता यदि ऐसा किया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
- पुलिस के गाने किसी सरकारी व गैरसरकारी प्रशासन में यदि कोई किसी नेता से सिफारिश लगाता है और नेता सिफारिश करता है तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है और इसके चलते भी ऐसे नेताओं पर कार्यवाही की जा सकती है।
- किसी भी दल के सभा में या प्रचार में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
- वोट पाने के लिए यदि कोई दल गलत चीजों का उपयोग करता है जैसा की रिश्वत देना या किसी चीज का अनुभव देना। याने ऐसी कोई गतिविधि जिससे सामाजिक स्थिति खराब होती है तो ऐसे नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
- धार्मिक स्थानों को अपने प्रचार प्रसार का स्थल नहीं बनाया जा सकता यह भी आचार संहिता का उल्लंघन कहलाता है।
आचार संहिता के राजनीतिक कानून
- किसी भी प्रचार के शुरुआत से पहले पुलिस को सूचना देनी आवश्यक होती है
- सभा में किसी प्रकार के सामाजिक स्थिति पैदा करने वालों के खिलाफ पुलिस का तत्पर खड़ा होना जरूरी है
- कोई वैसा स्थल ना सुनना जहां पर प्रचार प्रसार निषेध हो
- क्या आचार संहिता का सभी नेता पालन करते हैं
क्या नेता आचार संहिता के कानून का पालन करते है
आचार संहिता में सभी नेताओं के लिए यह किसी भी उम्मीदवार के लिए कई नियम होते हैं जैसा कि आपको बताया जाए लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि यह नेता या उम्मीदवार इन सभी नियमों का पालन करते हैं इनमें से कई नेता ऐसे हैं जो कि छोटे पद पर हैं तो वह डर के कारण इन नियमों का पालन कर लेते हैं लेकिन बात करें बड़े नेताओं की तो वह बिना डरे और आचार संहिता के उल्लंघन के जाने की कार्रवाई के बिना किसी दबाव के आचार संहिता के नियम को बेबाक तोड़ते हैं और इन के नियमों का पालन नहीं करते क्योंकि आप देख सकते हैं।
यहां पर कोई सी भी पार्टी हो सभी लोग धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं धार्मिक स्थलों पर भी जा रहे हैं और आज भी सरकारी गैर सरकारी विभागों में अपना दखल दे रहे हैं इनका मकसद केवल वोट पाना है इसके अलावा कुछ नहीं।
नेता चुनाव के पहले
चुनाव के पहले नेता को आप की हर एक समस्या खुद की समस्या नजर आती है और उनका बर्ताव ऐसा होता है जैसे आपका दुख उनके लिए महा-दुख: है आपके दुख दूर करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और आप लोगों को यह प्रतीत होने लगता है कि नेता हो तो ऐसा हो लेकिन इसके पीछे का सत्य क्या होता है आपको तब तक पता नहीं चलता जब तक नेता चुनाव नहीं देखता काफी कोशिशों के बाद लोगों का विश्वास जीतने के बाद जब नेता अपने इच्छुक पद पर पहुंच जाता है उसके बाद आप के साथ जो उठना बैठना हो रहा था अचानक से खत्म हो जाता है फिर नेता को केवल अपनी कुर्सी आती है और अपने आगे का मुकाम।
नेता चुनाव के बाद
चुनाव जीतने के बाद मानव नेता की आत्मा ही बदल जाते हैं आप जिस नेता को जिताने के लिए अपना दिन रात एक कर के उसके प्रचार-प्रसार में लगे रहते थे वही नेता आपको घास भी नहीं डालता और अपने वादों को ऐसे भूल जाता है जैसे वादे कभी किए ही नहीं थे आप नेता से मिलने का प्रयास भी करते हैं लेकिन आपको मिलने नहीं दिया जाता और गलती से आप मिल भी जाते हैं तो आप को फिर से किसी ना किसी प्रकार के झूठे आश्वासन देकर भेज दिया जाता है और यह चीज फिर अगले चुनावों में दोहराई जाती है फिर से आ तो वही नेता या कोई और नेता भी झूठी बातें वही झूठे वादे और आम जनता को बेवकूफ बना और हर बार नेता से आस लगा के रखना इस बार तो है ना लेकिन कभी आता नहीं है ना कभी होता है।
नेता का वादे पुरे करना करना जिम्मेदारी या अहसान
आखिर किस पार्टी का नेता है जो सही काम करता है जो अपने वादों से नहीं मुकरता। चुनाव के पहले और चुनाव के बाद जैसे चीज बोली गई थी जो वादे किए गए थे उनको पूरा करता है तो आपको बता दें यह कहना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि इस तरह के नेता मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है एक बार डॉन को 11 मुल्कों की पुलिस पकड़ ले लेकिन ऐसा निष्पक्ष नेता मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है क्योंकि यहां बात आप किसी भी पार्टी की करें चाहे पर कांग्रेसो चाहे बीजेपी या आप यह सपा या कोई निर्दलीय किसी का भी इतिहास निकाल लीजिए इनमें से कितनों ने आपके लिए क्या वायदे किए थे और कितने पूरे करें यह खुद ही जान लेंगे।
कौन बनेगा भारत का PM ?
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