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What is electro homeopathy?-विश्व इलेक्ट्रोपैथी दिवस 11 जनवरी : क्या है इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति - Sabguru News
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विश्व इलेक्ट्रोपैथी दिवस 11 जनवरी : क्या है इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति

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विश्व इलेक्ट्रोपैथी दिवस 11 जनवरी : क्या है इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति

सबगुरु न्यूज। इलेक्ट्रोपैथी एक नवीन चिकित्सा पद्धति है। 9 मार्च 2018 को विधानसभा में इलेक्ट्रोपैथी विधेयक पारित हुआ है और इस प्रकार राजस्थान संपूर्ण भारतवर्ष में इलेक्ट्रोपैथी को मान्यता देने वाला पहला राज्य बना।

11 जनवरी 1809 को इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक काउंट सीजर मेटी का जन्म इटली के BOLONGA शहर में हुआ, इसी उपलक्ष्य में 11 जनवरी को पूरे भारतवर्ष में अपितु पूरे विश्व में मेटी जयंती मनाया जाता है। जानिए विश्व की एकमात्र पूर्ण हर्बल चिकित्सा पद्धति इलेक्ट्रोपैथी जन्मदाता काउंट सीजर मैटी इटली के बारे में…

विज्ञान निरंतर प्रवाह है, जिस कदर पल प्रतिपल विकास हो रहा है उसी तरह नित नए रोगों का भी जन्म हो रहा है। मानव जाति के पृथ्वी पर आगमन के साथ ही से अनेक आयुर्विद्याओं का भी उपयोग स्वस्थ व निरोग रहने के लिए मानव जाति करने लगी थी। भांति- भांति के विकास एवं विज्ञान की प्रगति ने आयुर्विज्ञान को भी अछूता नहीं छोड़ा और विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां विकसित हुई। आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, एलोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी, एक्युप्रेशर जैसी कोई 100 प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां आज दिखाई देती है। यदि एक ही पद्धति अपने आप में पूर्ण होती तो आज इन अलग-अलग पद्धतियों की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। पूर्णता की खोज में ही वैज्ञानिक लगे रहे हैं। इसी क्रम में काउंट सीजर मैटी ने इलेक्ट्रोहोम्योपैथी नामक चिकित्सा विज्ञान को जन्म दिया जिसे आजकल इलेक्ट्रोपैथी के नाम से भी जानते है।

इस चिकित्सा पद्धति का नाम सुनकर दो तरह की भ्रांतियां व्यक्ति के मन में आती है। (1) क्या यह कोई करंट थेरेपी है? जिसमें उपचार के लिए इलेक्ट्रिक सेक या करंट दिए जाते हैं। (2) यह कोई होम्योपैथी की शाखा होगी।

ये दोनों ही धारणाएं सर्वथा गलत है। यह न तो करंट थेरैपी है और ना ही यह होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति है। यह अपने आप में एक नवीन व अलग चिकित्सा पद्धति है। वास्तव में यहां इलेक्ट्रो व होम्यो शब्द प्रयुक्त होने के कारण भ्रांति स्वाभाविक है, लेकिन यहां पर इन दोनों को ही भिन्न प्रकार के अर्थ में प्रयुक्त किया है।

इलेक्ट्रो शब्द इलेक्ट्रिसिटी के अर्थ में तथा होम्यो-समानता के अर्थ में प्रयोग हुआ है। Homoeostasis अवधारणा का उपयोग और वर्तमान इलेक्ट्रोड्स अथवा बॉडी में पाए जाने वाले एना आयन व केटा आयन से भी इलेक्ट्रो होमियो शब्द की व्याख्या करने का प्रयास हो ही रहा है। बरहाल दोनों शब्दों का अर्थ किसी भी रूप में समझे या समझाएं, यह निश्चित है कि Electricity व Similarity से ही इलेक्ट्रो व होमियो शब्द निकला है इसकी विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है :-

इलेक्ट्रोहोम्योपैथी 3 शब्दों का समुच्चय है :-

इलैक्ट्रो/Electro :– मनुष्य शरीर एवं वनस्पति में भगवान के द्वारा दी हुई दो शक्तियां होती है पहली ऋणात्मक वह दूसरी धनात्मक इन्हें शरीर की इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं यह धनात्मक/ positive एवं ऋणआत्मक /negative शक्तियां जब शरीर में समान होती है तो वह स्वास्थ्य /healthy अवस्था कहलाती हैं। इन शक्तियों अर्थात इलेक्ट्रिसिटी की शरीर में असमानता रोग/ diseases कहलाती है। अर्थात इलेक्ट्रिसिटी के लिए ही यहां इलेक्ट्रो शब्द लिया गया है ना कि कोई करंट से संबंध है।|

होमियो/Homeo :– यह एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है समानता अर्थात किसी असमानता को समानता में बदलना। क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति में शारीरिक इलेक्ट्रिसिटी की असमानता/रोग/disease को पौधों की इलेक्ट्रिसिटी से समानता/स्वस्थता/health में बदला जाता है इस लिए यहां होमियो शब्द प्रयोग में लिया गया है। अर्थात होमियो शब्द का यहां पर होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से कोई संबंध नहीं है।

पैथी/pathy :- इसका अर्थ है कोई चिकित्सा पद्धति या चिकित्सा साइंस। कुल मिलाकर इलेक्ट्रोपैथी वह वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है जो हमें पेड़ पौधों की इलेक्ट्रिसिटी से मनुष्य शरीर की असमान इलेक्ट्रिसिटी/disease को समान/healthy/cure करना सिखाती है।

इलेक्ट्रोपैथी सिद्धांत एवं आधार

Complexa-complexis curenter संयुक्त का संयुक्त से शमन

मेटी का कहना था अपना शरीर एवं शरीर के अंग सब जुड़े हुए (complex) हैं अतः यदि रोग पैदा होता है तो वह संपूर्ण अंग को प्रभावित करता है। इस प्रभावित अंग को ठीक करने के लिए हमें कोई complex medicine संयुक्त औषधि ही देनी होगी।

रस व रक्त का अशुद्ध होना ही रोगों का कारण

रसे: रक्त: च शुद्ध प्राणी दीर्घायु रापनौती का सिद्धांत हमारे भारतवर्ष में कई सदियों से प्रचलित है। मनुष्य (जीवों) के शरीर में दो प्रकार के चैतन्य तरल रक्त (blood) एवं रस (Lymph) निरंतर शरीर में भ्रमण कर जीवन व स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। इनका शुद्ध अवस्था में संपूर्ण शरीर में भ्रमण स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ-साथ शारीरिक विकास में सहायक होता है तथा इन दोनों का अशुद्धता के साथ शरीर में भ्रमण रोग उत्पत्ति का कारण बनता है एवं शारीरिक क्षति को जन्म देता है। इस विज्ञान सम्मत तथ्य को मेटी ने न केवल स्वीकार किया बल्कि इलेक्ट्रोपैथी के प्रमुख सिद्धांतों में शामिल करते हुए कहा कि “vitiation of Lymph and Blood is causes of diseases”

इलेक्ट्रोपैथी का औषधीय आधार केवल और केवल पेड़ पौधे हैं। अर्थात 100% हर्बल

इलेक्ट्रोपैथी की सभी औषधियां वनस्पति जगत से निर्मित है। इस पद्धति के अलावा अन्य पद्धतियों में औषधियों का निर्माण पादप जगत के अलावा खनिज-लवण जीव-जंतुओं तथा संश्लेषित रसायनों द्वारा होता है तथा यह औषधियां मानव शरीर पर कई हानिकारक और अहितकर प्रभाव डालती है। परंतु एकमात्र इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति की संपूर्ण औषधियां पूर्ण रूपेण पौधों पर आश्रित होने के कारण हानि रहित होती है। मेटी की स्पष्ट सोच थी कि हमारा भोजन पेड़-पौधे ही हैं, तो रोगों की चिकित्सा भी हमें इन प्रकृति प्रदत्त पेड़ पौधों में ही हो जानी चाहिए तभी हम अपने को हमेशा निरोग व स्वस्थ रख सकते हैं।

इलेक्ट्रोपैथी ही क्यों ? :-

काफी लोग पूछते हैं कि इलेक्ट्रोपैथी ही क्यों अपनाएं! वर्तमान समय में तो आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्योपैथी जैसी अनेक विकसित पद्धतियां प्रचलित है फिर क्यों इलेक्ट्रोपैथी दवाओं का सेवन करें? मित्रों, विज्ञान निरंतर श्रेष्ठतम की खोज में रहा है| विज्ञान द्वारा किया गया सबसे बाद का आविष्कार ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इलेक्ट्रोपैथी, चिकित्सा विज्ञान की सबसे कम उम्र की पद्धति है। इसलिए निसंदेह यह पद्धति श्रेष्ठ होनी चाहिए।

इलेक्ट्रोपैथी के जन्मदाता काउंट सीजर मेटी का यह प्रयत्न रहा कि उस समय में प्रचलित सभी पद्धतियों के अवगुणओं अर्थात कमियों से छुटकारा कैसे मिले इसी विचार ने इलेक्ट्रोपैथी को जन्म दिया और मेटी साहब ने प्रयत्नपूर्वक उस समय में प्रचलित पद्धतियों के अच्छे गुणों का समावेश इलेक्ट्रोपैथी में किया तथा उनके गुणों का समाधान भी इस पद्धति के साथ जोड़ा। वह कौन सी अच्छाइयां हैं जो हमें इलेक्ट्रोपैथी को ही अपनाने की दिशा दिखाती है? आइए जानते हैं

(1) ऐसी दवाएं जो प्रकृति प्रदत्त हों अर्थात केमिकल्स, मेटल्स या एनिमल्स के बाहरी प्रयोग से न बनी हो अर्थात इलेक्ट्रोपैथी पूर्णत: प्राकृतिक है, क्योंकि इसकी सारी दवाओं का आधार केवल और केवल पेड़ पौधे हैं। अर्थात इलेक्ट्रोपैथी एक संपूर्ण हर्बल चिकित्सा विज्ञान है|

(2) कोई ऐसी समग्र पैथी हो जो रोगों को जड़ मूल से बाहर निकाल दें। अर्थात इलेक्ट्रोपैथी में यह गुण अन्य चिकित्सा पद्धतियों की बजाय बहुत अधिकता से विद्यमान है।

(3) रोग को जड़मूल से निकालने के साथ उन दवाओं का शरीर के किसी भी अंग पर दुष्प्रभाव(Drug bad effect or side effect) नहीं हो, अर्थात इलेक्ट्रोपैथी की दवाएं पूर्णत: हानिरहित है इनका कोई दुष्प्रभाव(side effect) नहीं है।

(4) दवाएं शीघ्र लाभ देने वाली हो, भागदौड़ के इस युग में इंतजार कर पाना मुश्किल है।
अर्थात इलेक्ट्रोपैथी दवाएं नवीन रोगों पर शीघ्र प्रभावी है कुछेक पुराने रोगों (chronic diseases) की जरूर कुछ लंबी चिकित्सा चलती है, जो रोग मुक्ति के लिए जरूरी भी है।

(5) दवाई लेने में सरल हो जिसे बच्चे, बूढ़े, जवान सभी स्तर के लोग, रोगों की विभिन्न अवस्थाओं में आसानी से ले सके। अर्थात इलेक्ट्रोपैथी की दवाएं लेने में बहुत सरल है इनको तरल रूप में पाउडर में टेबलेट्स में सिरप रूप में कैप्सूल अवस्था में तथा इंजेक्शन के सहयोग से भी रोगी के शरीर में पहुंचाया जा सकता है।

(6) आपातकालीन एवं दुर्घटना जनित स्थितियों को छोड़कर शल्यक्रिया कि कम से कम आवश्यकता पड़े। अर्थात इलेक्ट्रोपैथी शल्यक्रिया संबंधित अनेक रोगों को केवल दवाओं के सेवन से ठीक करने में समर्थ है। जैसे टॉन्सिलाइटिस, साइनोसाइटिस पाइल्स युटेरस फाइब्रॉयड, युटेरस सिस्ट, गाल ब्लैडर स्टोन, किडनी स्टोन इत्यादि।