मां बनना तो हर महिला चाहती है । परन्तु इनकी इस चाहत को नजर लग जाती है। कई बार माँ बनने की चाहत चाहत बनकर रे जाती है। महिलाओं में गर्भपात के अनेक कारण हो सकते हैं। कई बार इसका कारण मोलर प्रेग्नेंसी भी हो सकती है। सामान्य गर्भधारण में महिलाओं के गर्भ में गर्भनाल या प्लैंसेंटा का विकास होता है। जिसके जरिए शिशु को पोषण मिलता है। परन्तु मोलर प्रेग्नेंसी की अवस्था में गर्भनाल में कुछ टिशूज अपनी जगह बना लेते है। जो शिशु के विकास में बुरा प्रभाव डालते है। आपके लिए यह मेलर प्रेग्नेंसी जानना बेहद ही आवश्यक है।
मोलर प्रेग्नेंसी
महिलाओं में मोलर प्रेग्नेंसी खतरनाक भी हो सकती है क्योंकि ये ही गर्भपात का कारण बनती है। मोलर प्रेग्नेंसी का प्रमुख कारण अंडाणु होता है। सामान्य परिस्तिति में महिलाओं में जब अंडे का निर्माण होता है, तो उस अंडे में पिता और मां दोनों के 23-23 क्रोमोजोम मौजूद रहते हैं। परन्तु कंप्लीट मोलर प्रेग्नेंसी की स्थिति में निषेचित अंडे में माता का कोई क्रोमोसोम बचता है, जबकि पिता के क्रोमोसोम दोगुने हो जाते हैं। ऐसा होने पर निषेचित हुआ अंडा विकसित नहीं हो पाता है और कुछ हफ्तों में ही मर जाता है। इसे ही गर्भपात कहते हैं।
मोलर प्रेग्नेंसी का कारण
अधिकतर यह समस्या 20 से 35 वर्ष की महिलाओं में होती है। यह समस्या उन महिलाओं को ज्यादा होती है जो महिला पहले गर्भपात करा चुकीं हो। ज्यादा गर्भपात कराना भी मोलर प्रंग्नेंसी का कारण नाब सकता है। यदि कोई महिला इंमरजेंसी पिल्स का उपयोग करती है उस महिला को भी इस समस्या को झेलना पद सकता है। कभी कभी यह जब भी हो सकती है जब आपके घर में कोई कभी इस समस्या का शिकार हुआ हो।
इलाज
मोलर प्रेग्नेंसी के इलाज में गर्भनाल को हटाया जाता है। इसमें ऑपरेशन करना भी पड़ सकता है। मोलर प्रेग्नेंसी के लिए डी एंड सी ऑपरेशन कराया जाता है।
मोलर प्रेग्नेंसी की समस्या को पहले दवाओं के सेवन से ख़त्म करने की कोशिश की जाती है।
मोलर प्रेग्नेंसी दोबारा न हो इसके लिए आपको काफी सावधानी बरतनी पड़ती है।