नई दिल्ली। करीब 50 साल के बाद दूसरी महिला वित्त मंत्री बनी निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला बजट पेश करते हुए महिलाओं का विशेष ख्याल रखा और ‘नारी को नारायणी’ बताते हुए कहा कि उसकी स्थिति सुधारे बिना संसार का कल्याण नहीं हो सकता।
सीतारमण ने बजट में महिलाओं का जिक्र करते हुए स्वामी रामकृष्णानंद को स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखे गए एक पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि नारी की स्थिति को सुधारे बिना संसार के कल्याण का कोई मार्ग नहीं है। किसी पक्षी के लिए एक पंख से उड़ना संभव नहीं है। यह सरकार मानती है कि हम महिलाओं की अधिक भागीदारी से ही प्रगति कर सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की विकास गाथा में, खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका की बहुत मधुर दास्तान है। सरकार का नारी की इस भूमिका को प्रोत्साहित करने तथा आसान बनाने का विचार है। बजट का लिंग अधारित विश्लेषण बजटीय जांच के लिए है, लिंग आधार दशकों तक इसका पैमाना बना रहा हैै। मैं आगे बढ़ने के लिए मूल्यांकन एवं कार्य योजना सुझाने के लिए सरकार और निजी स्टेक होल्डरों के साथ विस्तृत आधार वाली समिति बनाने का प्रस्ताव करती हूं।
सीतारमण ने कहा कि मानव जीवन का ऐसा कोई कालखंड नहीं है जिसमें नारी का योगदान महत्वपूर्ण नहीं रहा हो। सरकार दृढ़ता से मानती है कि सामाजिक और आर्थिक बदलाव, विशेषकर पिछले दशक से जिस तरह का रुप अख्तियार कर रहा है, उसमें भारतीय नारी की भूमिका और नेतृत्व बेहद स्पष्ट है। हाल ही में संपन्न चुनावों में पुरुषों के समान महिलाओं ने भी रिकॉर्ड मतदान किया। इस समय लोकसभा में रिकॉर्ड 78 महिला सांसद हैं।
वित्त मंत्री ने लोकसभा में वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए कहा कि जन-धन बैंक खाताधारी प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह के प्रत्येक सदस्य को 5,000 रुपए के ओवरड्राफ्ट की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
महिला स्व-सहायता समूहों के लिए ब्याज सब्सिडी कार्यक्रम का विस्तार सभी जिलों में करने का भी प्रस्ताव किया गया है। प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह में एक महिला सदस्य को मुद्रा योजना के तहत एक लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मुद्रा, स्टैंड अप इंडिया और स्व-सहायता समूह (एसएचजी) के माध्यम से महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की गई है।