इस समय कोरोना वायरस को लेकर न कोई वैक्सीन तैयार की गई है न ही कोई दवा ऐसे में अब एक नई बहस तेजी के साथ दुनिया के देशों में देखी जा रही है वह यह है कि क्या बढ़ती गर्मी या अत्यधिक तापमान में कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो सकता है ? देश हो या विदेश हो हर व्यक्ति इस समय रोज सुबह यह जानना चाहता है कि कोरोना वायरस का असर कुछ कम हुआ या नहीं। देश ही नहीं विदेशों में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या यह बता रही है कि अभी हाल फिलहाल इसका असर शायद ही काम हो।
कोरोना से आज पूरी दुनिया संक्रमित है, दुनिया के संपन्न देशों में हर रोज कोरोना के मामले और मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, इन सबके बीच एक वैज्ञानिक अध्ययन से थोड़ी राहत की सांस ये दुनिया ले सकती है। एक स्टडी में ये बात सामने आ रही है कि अगर गर्मी बढ़ेगी तो हो सकता है कि कोरोना के कहर में कमी आए। कोरोना के जहरीले वायरस से बचने के लिए हर मुमकिन कोशिश हो रही है, लेकिन कोशिशों से आगे एक उम्मीद मौसम है। दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी और संस्थानों से ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि ठंड जाएगी, मौसम बदलेगा, गर्मी होगी और तापमान का पारा चढ़ेगा तो कोरोना की गर्मी उतरेगी और वो खत्म होगा।
अभी भारत में गर्मी ने पूरी तरह नहीं दिखाए तेवर
इस बार अभी भारत में गर्मी अपने पूरे शबाब पर नहीं आ सकी है। पिछले 2 दिनों से भारत के कई राज्यों में बारिश होने के बाद मौसम में अचानक भारी गिरावट आई थी। भारत में इस वक्त पारा थोड़ा नीचे है लेकिन जैसे ही सूरज की तपिश बढ़ेगी, कोरोना से बचने की उम्मीदें भी बढ़ेंगी, ये उम्मीद दुनिया के जाने-माने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी एमआईटी ने जगाई है इस इंस्टीट्यूट के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक मौसम अगर गर्म और नमी भरा होगा तो इससे कोरोना वायरस के फैलने की आशंका बहुत कम हो जाएगी।
जिन देशों में तापमान का पारा 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा और नमी 4 से 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, वहां कोरोना वायरस के मामले 90 फीसदी पाए गए हैं। जबकि जिन देशों में पारा 18 डिग्री से ज्यादा रहा और नमी 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रही वहां पर ऐसे मामले 6 फीसदी ही सामने आए। एमआईटी की ये रिपोर्ट कम से कम भारत के लिए बेहद सुकून देने वाली है। आपको बता दें कि आने वाले दिनों में भारत में तापमान का पारा चढ़ने वाला है।
विदेशाें से आए 15 लाख लोगों ने देश को डाला मुसीबत में
पिछले दो महीनों में विदेश से आए लोगों की कोविड-19 की जांच में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों को पत्र भेजकर कहा है कि पिछले दो महीने में 15 लाख यात्री विदेश से भारत आए, लेकिन इन सभी की कोविड19 की जांच नहीं हुई है। कोविड19 की जांच हुए लोगों की रिपोर्ट और कुल यात्रियों की संख्या में बड़ा अंतर दिख रहा है। गौबा ने राज्य सरकारों को बताया है कि पिछले दो महीने में 15 लाख से ज्यादा लोग विदेश से भारत आए हैं और लौटने वाले यात्रियों और काेराेना संक्रमण के संदेह में वास्तविक रूप से निगरानी में रखे गए लोगों की संख्या में बड़ा अंतर प्रतीत हो रहा है।
सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में गौबा ने कहा है कि विदेश से लौटे सभी यात्रियों की निगरानी में अंतर या कमी कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने की सरकार की कोशिशों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है क्योंकि अन्य देशों से लौटने वाले लोगों में से कई कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं। ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन ने 18 जनवरी 2020 से 23 मार्च 2020 तक की रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इकट्ठा की है, जिसमें विदेश से आए लोगों की कोविड-19 की जांच की डिटेल है। इस रिपोर्ट और भारत आए कुल यात्रियों की संख्या में अंतर है। गौबा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा है कि एक बार फिर से विदेश से आए यात्रियों की पहचान की जाए और उनकी कोविड19 की जांच की जाए।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार