नई दिल्ली। बॉलीवुड के सुपरस्टार संजय दत्त की उतार-चढ़ाव से भरी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्होंने फिल्मी दुनिया की गलाकाट प्रतिस्पर्धा और चकाचौंध से दूर जाकर अमेरिका में बसने और वहां जानवर पालने का मन बना लिया था।
उनके मन में यह इरादा उस समय आया था जब वह नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए अमेरिका में रिहैब कार्यक्रम से गुजर रहे थे। उन्हें मुंबई की चमकती रोशनी से दूर वहां की सुकून भरी दुनिया में मजा आने लगा था और उनके मन में अमेरिका में बस जाने और वहां जानवर पालने की इच्छा जागृति हो गई थी।
मुन्ना भाई के नाम से मशहूर संजय दत्त की इस ख्वाहिश का खुलासा जाने-माने लेखक यासिर उस्मान ने अपनी किताब ‘बॉलीवुड का बिगड़ा शहजादा संजय दत्त’ में किया है। लेखक के अनुसार संजय को अमरीका में रिहैब के दौरान यह ख्याल आया था और इस बात को उन्होंने अपने पिता सुनील दत्त से भी साझा किया था।
संजू बाबा जनवरी 1984 में अपने नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए अमरीका गए थे। रिहैब के दौरान उनकी मुलाकात बिल नामक शख्स से हुई जिससे उनकी दोस्ती हो गयी। बिल संजय को टेक्सास अपने घर लेकर गए। किताब के अनुसार संजय ने याद करते हुए कहा कि उसके पापा रेंचर थे। उनके घर बहुत सारे लम्बे सींगों वाले मवेशी थे और वे पूरे टेक्सास में मीट की आपूर्ति किया करते थे।
बिल ने एक दिन संजय से कहा कि यहीं रुक जाओ, हम लोग जानवर पालेंगे। संजय को यह सब कुछ पसंद आने लगा और वह खुद को फ़िल्मी दुनिया से दूर करना चाहते थे। उनकी अपने पिता से हर सप्ताह एक बार बात होती थी। उन्होंने अपने पिता से कहा कि मैं वापिस नहीं आना चाहता, मैं जानवर पालना चाहता हूं। संजय के बैंक खाते में उस समय 50 लाख रुपए थे। संजू ने अपने पिता से कहा कि वह यह पैसे उन्हें अमरीका भेज दे ताकि वह उसे यहां निवेश कर सकें और जमीन खरीद सकें।
सुनील दत्त अपने बेटे की बातों से काफी निराश हुए और अगली फ़्लाइट से अमरीका पहुंच गए। पिता ने अपने बेटे से कहा कि उसे एक बार फिल्म इंडस्ट्री में लौटकर यह साबित करना है कि वह भागा नहीं है। सुनील दत्त के बहुत समझाने पर संजय ने अपने पिता के सामने एक शर्त रखी कि वह एक साल के लिए भारत वापस आएगा और यदि फ़िल्मी करियर नहीं चला तो वह फिर अमरीका लौट आएंगे और वहीं बस जाएंगे।
संजय दत्त सितम्बर 1984 में मुंबई लौट आए। उनके पास कोई काम नहीं था और करीब आठ माह ऐसे ही निकल गए तब उन्हें लगने लगा था कि उनकी जिंदगी मवेशीपालक बनने की तरफ बढ़ रही है पर किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। निर्माता पप्पू वर्मा ने संजय दत्त के पास एक एक्शन फिल्म ‘जान की बाजी’ में काम करने का प्रस्ताव लेकर आए तो संजू बाबा का पहला सवाल किया कि फिल्म में कितना समय लगेगा तो वर्मा का जवाब था दो-तीन महीने।
संजय के पास खाली समय था और वह तैयार हो गए। उन्हें लगा कि अमरीका लौटने का जितना समय बचा है। उसे वह इस फिल्म के जरिये काट देंगे। यह फिल्म हिट हो गई और संजय दत्त मुंबई के ही होकर रह गए। वह फिर लौटकर अमरीका नहीं गए।
कई साल बाद जब संजय अमरीका की यात्रा पर थे तो डलास में लंच करते समय एक अजनबी उनसे आकर मिला तो संजय हैरत में रह गए क्योंकि यह उनका पुराना दोस्त बिल था। वह संजय को अपनी रॉल्स रॉयस और फिर जेट में लेकर आस्टिन गए जहां उनका आलीशान महल था जिसमें 12 कमरे, स्विमिंग पूल, हेलीकाप्टर और 800 एकड़ खेती की जमीन थी। संजय ने तब कुछ अफ़सोस के साथ कहा कि अगर उन्होंने तब 50 लाख रुपए का निवेश किया होता तो यह सब उनका होता।